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66 की उम्र में भी स्क्रीन पर चमकते बोमन ईरानी: वकील से ‘वायरस’ तक ये 5 किरदार आज भी बॉलीवुड की पहचान
Bollywood
देर से अभिनय में कदम रखने के बावजूद बोमन ईरानी ने ऐसे किरदार गढ़े, जिन्होंने मुख्य कलाकारों को भी पीछे छोड़ दिया। जन्मदिन के मौके पर जानिए उनके पाँच सबसे यादगार रोल।
बॉलीवुड अभिनेता बोमन ईरानी मंगलवार को अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उस उम्र में की, जब कई कलाकार इंडस्ट्री छोड़ने की सोचने लगते हैं। 42 वर्ष की उम्र में डेब्यू करने वाले बोमन ने अभिनय की दुनिया में कदम वेटर, फोटोग्राफर और पारिवारिक बेकरी संभालने जैसे दौरों से गुजरकर रखा, लेकिन पर्दे पर आते ही उन्होंने साबित कर दिया कि मजबूत प्रदर्शन उम्र का मोहताज नहीं होता।
बोमन ईरानी ने 2003 में डरना मना है से हिंदी सिनेमा में कदम रखा। शुरुआती फिल्मों से लेकर ब्लॉकबस्टर्स तक—उनके किरदार दर्शकों की स्मृति में स्थाई रूप से बस चुके हैं। फिल्मों ने 400–700 करोड़ की वैश्विक कमाई की, और इनमें उनके निभाए रोल कथानकों की रीढ़ बने।
उनका योगदान 2003 से आज तक लगभग हर दशक में हिंदी न्यूज़ पोर्टल और पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरीज़ की सुर्खियाँ बना। मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रहते हुए उन्होंने कॉमेडी, निगेटिव, ड्रामा—हर शैली में अपनी अलग पहचान बनाई।
बोमन ईरानी के कई पात्र ऐसे रहे, जिनके बिना फिल्मों की सफलता अधूरी लगती। उन्होंने कहानी का तेवर बदलने वाले, नायक के संघर्ष की दिशा तय करने वाले और दर्शकों के भावनात्मक अनुभव को मजबूत करने वाले रोल निभाए।
कैसे बने हर फिल्म की मजबूती? – उनके 5 श्रेष्ठ किरदार
1. डॉक्टर अस्थाना – मुन्नाभाई एमबीबीएस (2003)
इस फिल्म में बोमन ने एक सख्त मेडिकल कॉलेज डीन का किरदार निभाया। संजय दत्त और अरशद वारसी जैसे कलाकारों के बीच भी डॉक्टर अस्थाना दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ गए। फिल्म के लोकप्रिय दृश्य आज भी भारतीय सिनेमा की क्लासिक यादों में शामिल हैं।
2. ‘वायरस’ – 3 इडियट्स (2009)
वीरू सहस्त्रबुद्धे उर्फ वायरस का किरदार भारतीय शिक्षा व्यवस्था की कटु सत्यताओं का प्रतीक बना। लगभग 395 करोड़ की कमाई करने वाली फिल्म में बोमन की अभिनय शक्ति ने कहानी को विशेष वजन दिया। उनका रोल छात्रों के तनाव, दबाव और अनुशासन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का कारण बना।
3. वकील तेजिंदर राजपाल – जॉली एलएलबी (2013)
एक महंगे और प्रभावशाली वकील के रूप में बोमन ने न्यायपालिका व्यवस्था की जटिलताओं को परदे पर सजीव किया। उनके किरदार ने कहानी में वह तनाव पैदा किया जिसने फिल्म को मजबूत कोर्टरूम ड्रामा का रूप दिया।
4. डीसीपी डी सिल्वा/वरदान – डॉन (2006)
शाहरुख खान के साथ बोमन की यह फिल्म उनकी बहुमुखी क्षमता का प्रमाण है। ईमानदार पुलिस अफसर और फिर चौंकाने वाले विलेन—इस दोहरी भूमिका ने दर्शकों को उनकी गहराई और versatility से परिचित कराया।
5. चेरी बाजवा – PK (2014)
पत्रकार की छोटी लेकिन प्रभावी भूमिका में बोमन ने कथानक को संतुलित गति दी। उनका किरदार कहानी को असल दुनिया के दृष्टिकोण से जोड़ता है, जिससे फिल्म का संदेश और मजबूत हो गया।
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