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भारत में सोने की मांग पर सितमी असर! जुलाई-सितंबर तिमाही में खरीद रिकॉर्ड स्तर पर घटी, रिपोर्ट में बड़े संकेत
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भारत में सोने की चमक इस तिमाही फीकी पड़ गई। विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि 2025 की तीसरी तिमाही में देश में सोने के आभूषणों की मांग 118 टन पर सिमट गई, जो 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है। तुलनात्मक रूप से यह पिछले वर्ष की समान अवधि से 31% कम रही।
कीमतों की ऊंचाई ने बदली ग्राहकों की प्राथमिकताएं
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान सोने की कीमतें ₹1.17 लाख प्रति 10 ग्राम से ऊपर रही। लगातार बढ़ती दरों और रुपये की कमजोरी ने आम खरीदारों को दबाव में ला दिया।
त्योहारी व विवाह सीजन की अनुपस्थिति ने भी बिक्री को सीमित रखा।
विशेषज्ञों का मानना है कि भाव में तेज उछाल के कारण लोग भारी आभूषणों के बजाय हल्के डिजाइनों और कम कैरेट (18K) विकल्पों की तरफ बढ़े हैं।
ज्वेलरी डिमांड गिरी, पर खर्च बना रहा ऊंचा
दाम रिकॉर्ड स्तर पर रहने के चलते मांग भले घटी हो, लेकिन खर्च में खास गिरावट नहीं दिखी।
तीसरी तिमाही में सोने पर ₹1.14 लाख करोड़ से अधिक का खर्च हुआ, जो पिछले साल के समान स्तर पर है।
यानि खरीद कम हुई, पर पैसे उतने ही खर्च हुए।
निवेशकों की दिलचस्पी तेज, बार-कॉइन की खरीद दोगुनी
जहां ज्वेलरी से दूरी बनी रही, वहीं निवेश की ओर झुकाव बढ़ा।
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भारत में बार और कॉइन की डिमांड Q3 में लगभग दोगुनी (91.6 टन) रही
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निवेश मूल्य ₹80,000 करोड़ से अधिक, अब तक का सर्वाधिक
एक्सपर्ट्स इसे “मुनाफा सुरक्षित करने की प्रवृत्ति” बता रहे हैं।
गिरवी सोना बढ़ा — 220 टन आभूषण बैंक के पास
रिपोर्ट बताती है कि देश में इस साल अब तक करीब 220 टन सोना गिरवी रखा गया।
माना जा रहा है कि
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महंगी कीमतें
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आर्थिक सावधानी
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कैश फ्लो की जरूरत
ने लोगों को सोना बेचने के बजाय गिरवी रखने की ओर प्रेरित किया।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
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वैश्विक ज्वेलरी डिमांड में 19% गिरावट
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सेंट्रल बैंकों ने 220 टन सोना खरीदा
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गोल्ड ETF में मजबूत inflow — संस्थागत निवेशकों का भरोसा कायम
चौथी तिमाही पर निगाहें
अब बाजार की उम्मीदें नवरात्रि-दशहरा-दीपावली और शादी सीजन पर टिकी हैं।
कीमतों में स्थिरता आई तो मांग में उछाल संभव है, लेकिन तेज भाव रिकवरी को सीमित कर सकते हैं।
