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H-1B वीजा फीस पर ट्रंप से पुनर्विचार की मांग, अमेरिकी सांसदों ने जताई चिंता—“भारत से रिश्तों पर पड़ेगा असर”
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अमेरिका के कई प्रभावशाली सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से आग्रह किया है कि वे H-1B वीजा पर नए लागू किए गए आदेश की समीक्षा करें, जिसके तहत नए आवेदनकर्ताओं पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर तक का शुल्क लगाया गया है। सांसदों का कहना है कि यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।
कांग्रेस सदस्यों जिमी पनेटा, अमी बेरा, सालुद कार्बाजल और जूली जॉनसन ने ट्रंप को लिखे पत्र में चेतावनी दी कि भारत के तकनीकी पेशेवर अमेरिकी टेक और AI सेक्टर में अहम भूमिका निभाते हैं, ऐसे में प्रतिबंधात्मक नीतियां दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगी।
सांसदों ने कहा कि भारतीय प्रतिभा अमेरिका की आर्थिक प्रतिस्पर्धा, तकनीकी नेतृत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाल ही में उनके भारत दौरे के दौरान भी उन्हें इस कार्यक्रम के सामरिक महत्व को समझने का मौका मिला।
नए आवेदन पर 1 लाख डॉलर शुल्क से चिंता
अमेरिकी प्रशासन ने हाल में कुछ गैर-प्रवासी कामगारों के प्रवेश पर रोक और H-1B वीजा आवेदनों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। सांसदों ने इसे देखते हुए राष्ट्रपति से अपील की कि वे इस निर्णय पर पुनर्विचार करें, क्योंकि इससे भारतीय टेक प्रोफेशनल्स की अमेरिका पहुंच प्रभावित होगी।
चीन की बढ़ती तकनीकी चुनौती का हवाला
सांसदों ने कहा कि जब चीन AI और उन्नत तकनीक में आक्रामक निवेश कर रहा है, ऐसे समय पर अमेरिका को वैश्विक प्रतिभा आकर्षित करने की अपनी ताकत बनाए रखनी होगी। उन्होंने चेताया कि प्रतिबंधात्मक नीतियां अमेरिका की इनोवेशन क्षमता व रक्षा क्षेत्र को कमजोर कर सकती हैं।
भारत के साथ साझेदारी भी दांव पर
पत्र में कहा गया कि पिछले वर्ष H-1B वीजा धारकों में 71% भारतीय थे। ऐसी परिस्थितियों में भारतीय टेक प्रतिभा को रोकना, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदार भारत के साथ संबंधों को भी कमजोर करेगा।
सांसदों ने ट्रंप से 19 सितंबर की घोषणा वापस लेने और H-1B कार्यक्रम को प्रभावित करने वाली नीतियों पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
