- Hindi News
- धर्म
- आषाढ़ अमावस्या 25 जून को: पितृ तर्पण, स्नान और दान से मिल सकता है भाग्योदय
आषाढ़ अमावस्या 25 जून को: पितृ तर्पण, स्नान और दान से मिल सकता है भाग्योदय
Dharm desk

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या इस वर्ष 25 जून 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह तिथि धार्मिक दृष्टि से विशेष मानी जाती है। आषाढ़ अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए स्नान, तर्पण और दान न केवल पूर्वजों को संतुष्टि प्रदान करते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में भी सुख, शांति और समृद्धि लेकर आते हैं।
आषाढ़ अमावस्या पर करें ये शुभ कार्य:
1. पवित्र नदियों में स्नान:
गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यदि नदी स्नान संभव न हो तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
2. पितृ तर्पण:
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तिल मिश्रित जल से तर्पण करें। यह कार्य पितरों की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद हेतु अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
3. पुण्यदायक दान:
इस दिन वस्त्र, अन्न, फल, तिल, गुड़ जैसे वस्तुओं का दान करें। भूखों को भोजन कराना भी बड़ा पुण्यकारी माना गया है।
4. दीपदान:
सांझ के समय नदी या तालाब में दीपदान करें। यह प्रतीक है अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा का।
5. पीपल पूजन और परिक्रमा:
पीपल के वृक्ष की पूजा करें, परिक्रमा करें और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यह शुभता और देवताओं की कृपा लाने में सहायक होता है।
6. सूर्य अर्घ्य:
स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
7. संयम और सत्कार्य का पालन करें:
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें, तामसिक भोजन से परहेज करें और क्रोध, कलह व झूठ से बचें।
क्यों खास है आषाढ़ अमावस्या?
यह दिन पितृकर्मों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण जैसे कर्म पितरों को संतोष प्रदान करते हैं। साथ ही यह समय आत्मिक शुद्धि, साधना और मानसिक बल को सशक्त करने के लिए उत्तम माना गया है।
जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इन उपायों को करता है, उसके जीवन में अशुभ बाधाएं दूर होती हैं और भाग्य का द्वार खुल सकता है।