"ज़मीन दी, पर नौकरी नहीं मिली": SECL भू-विस्थापित महिलाओं का अनोखा विरोध प्रदर्शन

Korba, CG

कोरबा जिले के कुसमुंडा स्थित एसईसीएल (SECL) कार्यालय के सामने गुरुवार को उस समय हलचल मच गई जब लगभग 20 से 25 भू-विस्थापित महिलाओं ने अर्धनग्न होकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया।

ये महिलाएं उन 150 परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, जिनकी जमीनें खदान परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की गई थीं, लेकिन अब तक उन्हें रोजगार नहीं मिला।

विरोध प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने अपनी साड़ियाँ उतार दीं और प्रबंधन को चूड़ियाँ दिखाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। उनका आरोप है कि SECL ने उनकी जमीन तो ले ली, लेकिन बदले में नौकरी देने का वादा आज तक पूरा नहीं किया।

“हम गड्ढों में रह रहे, वो सोना निकाल रहे”

प्रदर्शनकारी महिला फुलेश्वरी बाई ने बताया कि उनके पिताजी के समय से ही नौकरी की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक सिर्फ कागज़ पर आश्वासन मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके जीवित पिता को मृत दिखा दिया गया ताकि परिवार को नौकरी से वंचित किया जा सके। आज उनके 15-16 साल के बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं, जबकि कंपनी उनकी ज़मीन पर मुनाफ़ा कमा रही है।

बेटी है तो नहीं मिलती नौकरी?

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जिन परिवारों में बेटा नहीं है, वहां नौकरी देने से मना किया गया। इस कथित भेदभाव को लेकर महिलाओं में खासा रोष है। उनका कहना है कि उन्होंने वर्षों से दस्तावेज़ों के साथ आवेदन दिए हैं लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला।

कई गांव प्रभावित, कामकाज ठप

यह आंदोलन केवल एक गांव तक सीमित नहीं है। सोनपुरी, बालिपडनिया, जटराज, अमगांव, बरकुटा, गेवरा बस्ती, खोडरी और भिलाई बाजार जैसे गांवों के 150 से ज्यादा परिवार इस समस्या से जूझ रहे हैं। महिलाएं SECL कार्यालय के मेन गेट पर बैठ गईं, जिससे कार्यालय का कामकाज ठप हो गया।

SECL प्रबंधन का जवाब

SECL के पीआरओ डॉ. सनीश चंद्र ने बयान जारी करते हुए कहा कि कुछ प्रभावित लोग नियमों से हटकर रोजगार और मुआवज़े की मांग कर रहे हैं। प्रबंधन हमेशा संवाद के लिए तैयार है और स्थानीय प्रशासन ने भी मामले को संज्ञान में लिया है।

मजबूरी में किया उग्र प्रदर्शन

महिलाओं ने बताया कि पहले भी उन्होंने शांति से प्रदर्शन किया था, लेकिन तब उन्हें बच्चों सहित गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस बार उन्होंने कंपनी कार्यालय का कामकाज रोकने का निर्णय लिया और कहा कि जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, वे पीछे नहीं हटेंगी।

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