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16 अक्टूबर महाकाल भस्म आरती: मस्तक पर कमल के पुष्प और चंद्र अर्पित कर हुआ श्रृंगार
Ujjain, MP

विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में गुरुवार, कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर अलसुबह अत्यंत भव्य और दिव्य भस्म आरती का आयोजन हुआ। तड़के 4 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला।
आरती से पूर्व पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देवी-देवताओं का पूजन किया। इसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक, दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से अभिषेक कर विशेष श्रृंगार किया गया। आज भगवान के मस्तक पर कमल के पुष्प और चंद्र अर्पित कर दिव्य श्रृंगार संपन्न हुआ।
भस्म अर्पण की पावन विधि
भस्म अर्पण से पहले प्रथम घंटाल बजाकर हरिओम का जल अर्पित किया गया। मंत्रोच्चार के बीच भगवान का ध्यान कर कपूर आरती की गई। इसके बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। तत्पश्चात रजत शेषनाग का मुकुट, रजत मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला और पुष्पहारों से भगवान का अलंकरण किया गया।
पूरे गर्भगृह में चंदन और पुष्पों की सुगंध व्याप्त हो गई। महाकाल का श्रृंगार जब पूर्ण हुआ, तो मंदिर में “जय श्री महाकाल” के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।
श्रद्धालुओं की अपार आस्था
अल सुबह सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भस्म आरती में शामिल होकर पुण्यलाभ कमाया। भक्तों ने नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामनाएं फूंकीं और आशीर्वाद मांगा।
भस्म आरती के दौरान मंदिर परिसर में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। आरती के पश्चात भक्तों ने बाबा महाकाल की आराधना कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।