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IPO का बुलबुला फूटा: जिसे सोना समझा वो निकली राख, 50% से ज्यादा कंपनियों ने निवेशकों को किया नुकसान
Business News
शेयर बाजार में नए IPO (Initial Public Offering) के आसपास निवेशकों में हमेशा उत्साह का माहौल होता है। ओवरसब्सक्रिप्शन की खबरें पढ़कर आम निवेशक सोचते हैं कि मुनाफा तय है। लेकिन हालिया आंकड़े एक सचेत चेतावनी पेश कर रहे हैं: जो कंपनियां लिस्टिंग के दिन चमक रही थीं, वे कई निवेशकों के लिए आज घाटे में हैं।
बड़ी कंपनियों में भारी गिरावट
2023 से अब तक बाजार में आए 155 बड़े IPO में से 80 यानी करीब 52% कंपनियां अपने इश्यू प्राइस से नीचे ट्रेड कर रही हैं।
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Ola Electric: 60% गिरावट
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आइडियाफोर्ज: 65% गिरावट
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क्रेडो ब्रांड्स मार्केटिंग: 69% गिरावट
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जेएनके इंडिया: 67% गिरावट
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उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक: 61% गिरावट
इन कंपनियों की औसत गिरावट 27.5% है, जो निवेशकों के लिए गंभीर चुनौती साबित हुई है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम का भ्रम
IPO के समय निवेशकों को आकर्षित करने वाले ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) का झांसा अक्सर भारी पड़ता है। कई बार निवेशक कंपनी के कामकाज या फंडामेंटल्स की बजाय सिर्फ ग्रे मार्केट भाव देखकर पैसा लगा देते हैं।
एंकर निवेशकों का लॉक-इन पीरियड
जब एंकर इन्वेस्टर्स के शेयर का लॉक-इन खत्म होता है, तो वे अपने शेयर बेचकर मुनाफा निकाल लेते हैं। इससे खुदरा निवेशक अचानक बिकवाली के दबाव में फंस जाते हैं।
भीड़ का हिस्सा बनने से पहले सोचें
विशेषज्ञों का कहना है कि अब केवल ओवरसब्सक्रिप्शन को सफलता का पैमाना मानना जोखिम भरा है। IPO में निवेश करने से पहले कंपनी की बैलेंस शीट, सेक्टर की स्थिरता और दीर्घकालीन विकास योजना का मूल्यांकन करना जरूरी है। लिस्टिंग डे का मुनाफा केवल एक बोनस है; असली लाभ कंपनी के फंडामेंटल्स से ही मिलेगा।
IPO का बुलबुला अभी भी निवेशकों को फँसाने की क्षमता रखता है। भीड़ के पीछे भागना भारी पड़ सकता है। समझदारी यही है कि आंकड़े और कंपनी के फंडामेंटल्स को परखें, ताकि लंबी अवधि में स्थिर और सुरक्षित रिटर्न सुनिश्चित किया जा सके।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के लिए है। इसे निवेश सलाह के रूप में न लें। किसी भी निवेश निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।
