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पंचांग: द्विपुष्कर योग बन रहा शुभ संयोग, मृगशीर्ष नक्षत्र में पूजा-पाठ और नए कार्य होंगे सफल
Dharm, Desk
आज शनिवार, 6 दिसंबर 2025 को पौष माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों के अनुसार यह तिथि नए निर्माण, तीर्थयात्रा और शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए बहुत अनुकूल मानी जाती है। आज के दिन द्विपुष्कर योग भी बन रहा है, जो कार्य सिद्धि का विशेष संयोग माना जाता है। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों से मनोकामनाएँ पूर्ण होने का विश्वास शास्त्रों में बताया गया है।
6 दिसंबर 2025 का पंचांग
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विक्रम संवत: 2082
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मास: पौष
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पक्ष: कृष्ण पक्ष
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दिन: शनिवार
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तिथि: द्वितीया
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योग: शुभ
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नक्षत्र: मृगशीर्ष
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करण: तैतिल
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चंद्र राशि: मिथुन
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सूर्य राशि: वृश्चिक
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सूर्योदय: सुबह 07:06 बजे
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सूर्यास्त: शाम 05:53 बजे
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चंद्रोदय: शाम 06:44 बजे
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चंद्रास्त: सुबह 08:32 बजे
आज का विशेष योग: द्विपुष्कर योग
द्विपुष्कर योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य दोगुना फल देते हैं।
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नए व्यवसाय की शुरुआत
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घर-निर्माण या भूमि पूजन
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तीर्थयात्रा
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शुभ खरीदारी
इन सभी कार्यों के लिए यह योग श्रेष्ठ माना गया है।
मृगशीर्ष नक्षत्र क्यों है शुभ?
आज चंद्रमा मिथुन राशि में स्थित रहेंगे और मृगशीर्ष नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव हैं। यह नक्षत्र—
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विवाह संबंधी कार्यों
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नए कौशल या कला सीखने
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मित्रता, प्रेम अभिव्यक्ति
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उत्सव, समारोह
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कृषि और व्यापारिक सौदों
के लिए अनुकूल माना जाता है। नक्षत्र का स्वभाव कोमल और रचनात्मक होता है, इसलिए मन शांत रहता है और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
आज का वर्जित समय (राहुकाल व अन्य अशुभ काल)
शुभ कार्यों के लिए इन समयों से बचना आवश्यक है—
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राहुकाल: सुबह 09:48 से 11:09 बजे
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यमगंड: 13:51 से 15:12 बजे
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गुलिक काल, दुमुहूर्त और वर्ज्य काल में भी नए काम शुरू न करने की सलाह दी जाती है।
