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पुतिन की भारत यात्रा से पहले RELOS समझौते को मंजूरी मिलने के करीब
Digital Desk
रूसी संसद के निचले सदन स्टेट डूमा में आज भारत के साथ हुए रक्षा समझौते पर मतदान होगा। इस वर्ष फरवरी में दोनों देशों ने रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (RELOS) पर हस्ताक्षर किए थे। अब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले इसे औपचारिक मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
RELOS एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक सपोर्ट pact है, जिसका उद्देश्य भारत और रूस की सेनाओं के बीच सहयोग और समन्वय को आसान बनाना है। इसके तहत सैन्य अभ्यास, मानवीय सहायता, आपदा राहत और संयुक्त अभियानों के दौरान दोनों देश एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे।
यह समझौता 18 फरवरी 2025 को मॉस्को में भारतीय राजदूत विनय कुमार और रूस के तत्कालीन उप-रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने साइन किया था। माना जा रहा है कि यह दोनों देशों के रक्षा सहयोग को नई मजबूती देगा।
क्यों महत्वपूर्ण है RELOS
RELOS को भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी में अब तक के सबसे अहम रक्षा समझौतों में गिना जा रहा है। इसके तहत दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य बेस, एयरफील्ड, पोर्ट्स और सप्लाई पॉइंट्स का उपयोग कर सकेंगी। यह इस्तेमाल केवल ईंधन भरने, मेंटेनेंस, सप्लाई रिफिल, मेडिकल सहायता, ट्रांजिट और मूवमेंट जैसी जरूरतों के लिए होगा।
भारत ऐसे ही समझौते अमेरिका (LEMOA), फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया सहित कई देशों के साथ पहले ही कर चुका है। अब रूस इस सूची में शामिल हो रहा है।
रूस अभी मंजूरी क्यों दे रहा है
पुतिन इस हफ्ते गुरुवार को भारत आने वाले हैं, जहां दोनों देशों के बीच होने वाली वार्षिक बैठक में रक्षा सहयोग प्रमुख एजेंडा रहेगा। फरवरी में RELOS पर हस्ताक्षर होने के बाद से यह रूसी संसद की मंजूरी का इंतजार कर रहा था। रूस की प्रक्रिया के अनुसार संसद की अनुमति अनिवार्य है, इसलिए भारत दौरे से पहले मतदान कराया जा रहा है।
पुतिन के दौरे में रक्षा चर्चा केंद्र में
पुतिन की यात्रा के दौरान रक्षा समझौतों पर सबसे अधिक फोकस रहने की उम्मीद है। रूस पहले ही संकेत दे चुका है कि वह भारत को अपना SU-57 स्टेल्थ फाइटर जेट देने को तैयार है। इसके अलावा S-500 मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस का नया संस्करण, और नौसेनाओं के लिए संयुक्त रूप से युद्धपोत निर्माण पर भी बातचीत हो सकती है।
S-400 पर भी नई चर्चा की उम्मीद
PTI के अनुसार, भारत रूस से अतिरिक्त S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर विचार कर सकता है, क्योंकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इसकी क्षमता प्रभावी साबित हुई थी। पांच सिस्टमों की पूर्व डील में से तीन भारत को मिल चुके हैं, जबकि चौथे की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रुकी हुई है।
S-400 दुनिया के सबसे उन्नत एयर-डिफेंस सिस्टम में शामिल है, जो फाइटर जेट्स, मिसाइलों, ड्रोन और स्टेल्थ विमानों को भी निशाना बना सकता है।
