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कांकेर में ईसाई व्यक्ति के शव दफनाने पर विवाद: ग्रामीणों ने रोका अंतिम संस्कार, मसीही समाज ने थाने का घेराव; तीन दिन से मॉर्च्युरी में पड़ी लाश
Kanker, CG
कोडेकुर्से गांव में निजी जमीन पर दफन की तैयारी कर रहे परिजनों को ग्रामीणों ने रोका; प्रशासन की दखल के बाद भी नहीं निकला समाधान, आज होने की संभावना है फैसला
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में धार्मिक असहमति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कोडेकुर्से थाना क्षेत्र में एक ईसाई व्यक्ति के अंतिम संस्कार को लेकर ग्रामीणों और मसीही समाज के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। मृतक के परिजन निजी जमीन पर शव दफनाना चाहते थे, लेकिन ग्रामीणों ने इसका विरोध कर दिया। मामला अब पुलिस और प्रशासन तक पहुंच गया है, जबकि शव पिछले तीन दिन से मॉर्च्युरी में रखा हुआ है।
निजी जमीन पर दफनाने की कोशिश, ग्रामीणों ने किया विरोध
जानकारी के अनुसार, मृतक का नाम मनीष निषाद (50 वर्ष) था, जो कोडेकुर्से गांव का निवासी था। 4 नवंबर को रायपुर में बीमारी से उनका निधन हुआ। मंगलवार को परिजन शव लेकर गांव पहुंचे और अपनी निजी जमीन में दफनाने की तैयारी करने लगे। लेकिन ग्रामीणों ने गांव की परंपराओं का हवाला देते हुए इसका विरोध किया।
पुलिस पहुंची, पर नहीं हुआ समाधान
विवाद बढ़ने पर मसीही समाज के प्रतिनिधियों ने इसकी शिकायत कोडेकुर्से थाना में दर्ज कराई। पुलिस टीम मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। स्थिति तनावपूर्ण होती देख शव को अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखवा दिया गया। तीन दिन बीतने के बावजूद अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं मिल सकी है।
थाने का घेराव कर उठाई आवाज
गुरुवार को मसीही समाज के लोगों ने थाने का घेराव किया और मृतक के अंतिम संस्कार की अनुमति की मांग की। उनका कहना है कि परिजन अपनी निजी भूमि पर दफनाना चाहते हैं, जो किसी सरकारी या साझा संपत्ति से जुड़ी नहीं है। दूसरी ओर, ग्रामीणों का कहना है कि गांव की सीमाओं में बिना अनुमति किसी भी शव को दफनाने की परंपरा नहीं है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों का तर्क
जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र टेकाम ने बताया कि कोडेकुर्से गांव की बसाहट पारंपरिक व्यवस्था के अनुसार है। यहां गांव के बैगा (धार्मिक मुखिया) और समाज प्रमुख की अनुमति के बिना किसी का अंतिम संस्कार गांव की सीमाओं में नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि या तो परिजन तय रीति-रिवाज के अनुसार कार्य करें या शव को कब्रिस्तान ले जाएं।
मसीही समाज की प्रतिक्रिया
अनुग्रह प्रार्थना भवन, चारामा के पास्टर मोहन ग्वाल ने बताया कि परिवार के पास किसी वैकल्पिक कब्रिस्तान की सुविधा नहीं है। मृतक की खुद की जमीन पर दफनाने की तैयारी की गई थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध से असमंजस की स्थिति बन गई। उन्होंने प्रशासन से हस्तक्षेप कर शव के सम्मानजनक अंतिम संस्कार की अनुमति देने की मांग की है।
प्रशासन ने कहा—आज होगा फैसला
एडिशनल एसपी आकाश श्रीमाल ने बताया कि गुरुवार देर रात तक मसीही समाज के प्रतिनिधियों और ग्रामीणों के बीच चर्चा चली। अंतिम निर्णय शुक्रवार को लिया जाएगा, जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्रशासन ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
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