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प्रभात बेला में भगवान महाकाल का तेजस्वी अलंकरण, मस्तक पर ‘सूर्य’ का विशेष अर्पण
Ujjain, MP
पौष माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया पर रविवार सुबह महाकालेश्वर मंदिर में दिन की शुरुआत दिव्य भस्म आरती से हुई। ठीक 4 बजे कपाट खुलते ही गर्भगृह में वातावरण शिवमय हो गया। धूप, घंटनाद और वैदिक उच्चारणों के बीच आज का श्रृंगार भक्तों के लिए अद्भुत अनुभव लेकर आया।
विशेष ‘सूर्य–श्रृंगार’: प्रभु के मस्तक पर तेज का प्रतीक अर्पित
सुबह के आरंभिक क्षणों में पुजारियों ने शिवलिंग का:
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शुद्ध जल से स्नान
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दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से पंचामृत अभिषेक
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चंदन-रोली का लेपन
कर पूजा-परंपरा शुरू की।
भस्म अर्पण से पहले परंपरा अनुसार प्रथम घंटाल बजा। इसके बाद हरिओम जल अर्पित कर शिवलिंग को ढांकते हुए ताजा भस्म से अलंकृत किया गया।
अभिषेक के बाद भगवान को अर्पित किए गए:
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रजत शेषनाग मुकुट
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रजत मुण्डमाला
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पवित्र रुद्राक्ष माला
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विविध पुष्प मालाएं
इन्हीं के साथ आज का विशेष ‘सूर्य अर्पण’ श्रृंगार पूरा हुआ, जिसमें प्रभु के मस्तक पर तेज और ऊर्जा का प्रतीक सूर्य चिन्ह स्थापित किया गया।
अलसुबह उमड़ी श्रद्धा—नंदी के कान में फुसफुसाकर मांगी मन्नतें
भवानी शंकर की नगरी में तड़के से ही भक्तों का आना जारी रहा।
आज की आरती में:
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सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए
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‘जय महाकाल’ के जयकारों से परिसर गूंज उठा
धूप और शिवनाम से वातावरण इतना पवित्र हो उठा कि कई श्रद्धालु भावविभोर होकर आरती के दौरान ही ध्यानमग्न हो गए।

