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दिल्ली में विदेशी कोच को हिंदी न जानने पर चेतावनी, पार्षद का वीडियो बना विवाद की वजह
नेशनल
पटपड़गंज पार्क मामले में भाषा, अधिकार और सार्वजनिक व्यवहार पर छिड़ी बहस
पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज इलाके से एक स्थानीय राजनीतिक विवाद राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया है। दिल्ली नगर निगम की भाजपा पार्षद रेनू चौधरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसमें वह एक अफ्रीकी फुटबॉल कोच को एक महीने के भीतर हिंदी सीखने की चेतावनी देती नजर आती हैं। वीडियो में पार्षद यह कहते हुए सुनी जा सकती हैं कि यदि कोच हिंदी नहीं सीखेगा, तो उससे पार्क का उपयोग करने का अधिकार छीन लिया जाएगा।
यह घटना उस पार्क से जुड़ी है, जिसे संबंधित अफ्रीकी नागरिक पिछले कई वर्षों से नगर निगम से किराए पर लेकर बच्चों को फुटबॉल प्रशिक्षण देने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, कोच करीब डेढ़ दशक से भारत में रह रहा है और इलाके में खेल गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। विवाद तब गहरा गया, जब पार्षद ने स्वयं इस बातचीत का वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया।
क्या है वीडियो में
वीडियो में पार्षद को यह कहते सुना जा सकता है कि भारत में रहकर और यहां से कमाई करके हिंदी न सीखना स्वीकार्य नहीं है। बातचीत के दौरान आसपास मौजूद कुछ लोग इसे हल्के-फुल्के अंदाज में लेते दिखाई देते हैं, लेकिन पार्षद साफ करती हैं कि यह चेतावनी मजाक नहीं है। इसके बाद पार्क छीने जाने की बात कही जाती है, जिसे कई लोगों ने धमकी के तौर पर देखा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कई यूजर्स ने इसे भाषा के आधार पर भेदभाव और विदेशी नागरिक को डराने का मामला बताया। कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या किसी स्थानीय जनप्रतिनिधि को इस तरह सार्वजनिक रूप से चेतावनी देने का अधिकार है।
पार्षद की सफाई
विवाद बढ़ने पर रेनू चौधरी ने एक अलग वीडियो जारी कर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी को अपमानित करना नहीं था। उनके मुताबिक, संबंधित पार्क नगर निगम के अंतर्गत आता है और वहां किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि के लिए तय शुल्क और नियमों का पालन जरूरी है। पार्षद का दावा है कि कोच हिंदी न समझ पाने के कारण निगम अधिकारियों से ठीक से संवाद नहीं कर पा रहा था, जिससे प्रशासनिक दिक्कतें आ रही थीं।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कोच को केवल बुनियादी हिंदी सीखने की सलाह दी थी और यहां तक कि हिंदी सिखाने के लिए ट्यूटर की व्यवस्था व फीस देने की पेशकश भी की थी। हालांकि, इस दावे की पुष्टि स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकी है।
पहले भी रहे हैं विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब पार्षद के वीडियो चर्चा में आए हों। इससे पहले भी उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर आरोप लगते रहे हैं कि वे अधिकारियों या नागरिकों से सख्त और धमकी भरे लहजे में बात करती हैं। यही वजह है कि यह ताजा मामला भी तेजी से ट्रेंडिंग न्यूज इंडिया में शामिल हो गया है।
फिलहाल नगर निगम या भाजपा की ओर से इस पूरे घटनाक्रम पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। सार्वजनिक हित से जुड़े इस मामले में यह देखना अहम होगा कि प्रशासन भाषा, नियम और नागरिक अधिकारों के संतुलन को कैसे संभालता है।
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