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PM मोदी का संसद सत्र से पहले निशाना: ‘यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए’; विपक्ष को पराजय की निराशा से बाहर आने की नसीहत
Jagran Desk
शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक, दोनों सदनों की 15-15 बैठकें; पीएम बोले—बिहार चुनाव ने लोकतंत्र की ताकत फिर साबित की, विपक्ष नकारात्मकता छोड़कर राष्ट्र निर्माण पर ध्यान दे
संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए विपक्ष पर तीखा निशाना साधा। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद देश के विकास का मंच है, जहां “ड्रामा नहीं, डिलीवरी” होनी चाहिए। उनके इस बयान को बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के संदर्भ में विपक्ष पर एक सख्त टिप्पणी के रूप में देखा जा रहा है।
क्या कहा प्रधानमंत्री ने?
पीएम मोदी ने कहा कि यह सत्र केवल संवैधानिक प्रक्रिया नहीं बल्कि भारत को नई ऊर्जा देने वाला समय है। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतदान को लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, “बिहार के नतीजों से विपक्ष परेशान है, लेकिन उन्हें पराजय की निराशा से बाहर निकलना होगा। भारत ने लोकतंत्र को जिया है और बार-बार इसे साबित किया है।”
उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में नकारात्मकता की अपनी जगह हो सकती है, लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिए सकारात्मक सोच जरूरी है। “मैं उम्मीद करता हूँ कि विपक्ष नकारात्मकता को सीमित रखे और देशहित पर ध्यान केंद्रित करे,” पीएम ने कहा।
नए सभापति का जिक्र, GST सुधारों पर भी बात
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह शीतकालीन सत्र एक और कारण से महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि उच्च सदन (राज्यसभा) को नए सभापति का मार्गदर्शन मिलेगा, जिसे उन्होंने सकारात्मक बदलाव की दिशा में अहम कदम बताया।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने GST सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे देश में “विश्वास और पारदर्शिता का वातावरण” मजबूत हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सत्र में इस दिशा में और प्रगति दर्ज की जाएगी।
विपक्ष किन मुद्दों पर चर्चा चाहता है?
संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विपक्षी दलों ने कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की है। विपक्ष विशेष रूप से एसआईआर (SIR Bill), आंतरिक सुरक्षा, और लेबर कोड जैसे विषयों को सदन में प्राथमिकता से उठाना चाहता है।
दूसरी ओर, सरकार का रुख अलग दिखाई दे रहा है। सरकार चाहती है कि सत्र में वंदे मातरम् पर व्यापक चर्चा की जाए। इन अलग-अलग एजेंडों की वजह से सत्र के हंगामेदार होने के संकेत पहले ही साफ हो गए हैं।
सत्र में क्या-क्या होगा?
शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा की 15-15 बैठकें प्रस्तावित हैं। सरकार आर्थिक नीतियों, बजट पूर्व तैयारी और विभिन्न विधेयकों पर आगे बढ़ने की कोशिश करेगी। वहीं विपक्ष संसद में सरकार को जिम्मेदार ठहराने और अपने मुद्दों पर जोरदार आवाज उठाने की तैयारी में है।
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