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तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को मेहर, कैश और दहेज वापस मिलेगा: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
Jagran Desk
1986 के मुस्लिम महिला अधिकार संरक्षण कानून की नई व्याख्या; कोर्ट ने कहा—संपत्ति महिला की ही मानी जाएगी, पूर्व पति को 6 हफ्ते में पूरी राशि लौटानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं शादी के समय मिले मेहर, नकद, सोना और अन्य उपहारों को वापस पाने की पूर्ण हकदार हैं। यह फैसला न केवल राष्ट्रीय समाचार में बड़ी सुर्खी बना, बल्कि महिलाओं के आर्थिक और वैधानिक अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की दो-judge बेंच ने कहा कि मुस्लिम वुमेन (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स ऑन डायवोर्स) एक्ट, 1986 की व्याख्या करते समय समानता, गरिमा और स्वायत्तता को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने साफ किया कि शादी के दौरान महिला या दूल्हे को दिए गए उपहार, नकद और कीमती सामान को महिला की संपत्ति माना जाएगा और तलाक के बाद उसे वापस किया जाना अनिवार्य है।
बेंच ने अपने निर्णय में कहा कि भारत के छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में पितृसत्तात्मक भेदभाव अभी भी मौजूद है, इसलिए कानून की व्याख्या करते समय महिला के अनुभवों और गरिमा को प्रमुखता दी जानी चाहिए।
कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें एक तलाकशुदा महिला के दावे को खारिज करते हुए पूर्व पति को कुछ सामान लौटाने से राहत दी गई थी। यह केस 1986 के मुस्लिम महिला अधिकार कानून की धारा 3 के तहत दायर किया गया था, जिसमें महिला ने 17.67 लाख रुपये मूल्य के सामान और उपहार वापस मांगे थे।
कोर्ट का आदेश: 6 हफ्ते में पूरा माल-असबाब लौटाएं
बेंच ने पूर्व पति को निर्देश दिया है कि वह:
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फैसले के 6 हफ्तों के अंदर महिला की पूरी संपत्ति वापस करे
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3 कार्यदिवसों के भीतर महिला की ओर से बैंक खाते का विवरण दिया जाए
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राशि सीधे महिला के खाते में जमा की जाए
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समयसीमा का उल्लंघन होने पर 9% सालाना ब्याज लागू होगा
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवादी को हलफनामा भी दाखिल करना होगा।
मामला क्या था?
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शादी: 28 अगस्त 2005
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विवाद शुरू: शादी के तुरंत बाद
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महिला ने मई 2009 में ससुराल छोड़ा
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IPC 498A और CrPC 125 के तहत केस दर्ज
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तलाक: 13 दिसंबर 2011
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महिला ने धारा 3 के तहत 17.67 लाख रुपये की संपत्ति वापसी के लिए याचिका दायर की
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