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Bihar Chunav 2025: NDA में 30 विधायक परिवारजनों से, मांझी-बाहुबली-कुशवाहा के रिश्तेदार भी जीतकर पहुंचे विधानसभा
Digital Desk
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की भारी जीत के साथ ही राजनीतिक परिवारवाद की बहस भी तेज हो गई है। नतीजों में यह साफ़ देखा गया कि कई विजेताओं का सीधा संबंध नेताओं के परिवार या रिश्तेदारों से था। यह ट्रेंड केवल विपक्ष तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एनडीए के घटक दलों में भी नजर आया।
हम पार्टी में परिवारवाद का दबदबा
केंद्रीय मंत्री और हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी की पार्टी को मिली 6 सीटों में से 5 पर परिवारजनों या रिश्तेदारों को टिकट दिया गया।
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मांझी की बहू दीपा कुमारी, समधन ज्योति देवी और दामाद प्रफुल्ल मांझी सभी जीतकर विधानसभा पहुंचे।
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अतरी सीट से जीते रोमित कुमार पूर्व सांसद अरुण कुमार के भतीजे हैं।
भाजपा में 12 विधायक परिवार से जुड़े
भाजपा ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिनमें से 89 पर विजय हासिल हुई। इनमें 12 विधायक (12.35%) ऐसे हैं जो किसी न किसी राजनीतिक परिवार से आते हैं।
जदयू में भी 11 परिवारवादी विधायक
जदयू में स्थिति भी समान है। पार्टी के 11 सफल प्रत्याशी (12.9%) राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
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उदाहरण:
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अनंत सिंह (मोकामा) – बड़े भाई दिलीप सिंह मंत्री
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ऋतुराज कुमार (घोषी) – पूर्व सांसद अरुण कुमार के बेटे
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कोमल सिंह (गाय घाट) – MLC दिनेश सिंह और सांसद वीणा देवी की बेटी
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शालिनी मिश्रा (केसरिया) – पूर्व सांसद कमला मिश्र मधुकर की बेटी
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कुशवाहा और चिराग पासवान की पार्टी भी अछूती नहीं
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उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को सासाराम सीट से टिकट दिया, जो जीतकर विधायक बनीं।
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चिराग पासवान की पार्टी से भी रिश्तेदारों ने जीत हासिल की; गोविंदगंज से राजन तिवारी के भाई राजू तिवारी चुने गए।
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की जीत के साथ ही राजनीतिक परिवारवाद की बहस तेज हो गई है। आंकड़े बताते हैं कि 30 से अधिक विधायक सीधे नेताओं के परिवार या रिश्तेदार हैं, जो विधानसभा में पहुंचकर चर्चा का विषय बन गए हैं।
