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हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में 196.98 करोड़ की परियोजना का भूमि पूजन, एनबीसीसी बनाएगा आधुनिक शैक्षिक परिसर
digital desk
महेंद्रगढ़ में अवसंरचना विकास को नई गति, शोध, तकनीक और छात्रावास सुविधाओं के विस्तार का लक्ष्य
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएच), महेंद्रगढ़ को आधुनिक और शोध-केंद्रित शैक्षिक संस्थान के रूप में विकसित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर में 196.98 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली अवसंरचना परियोजना के लिए भूमि पूजन समारोह का आयोजन किया। यह परियोजना एनबीसीसी को डिजाइन, इंजीनियरिंग, अधिप्राप्ति और निर्माण (ईपीसी) मॉडल पर सौंपी गई है।
भूमि पूजन कार्यक्रम में सीयूएच के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, सम कुलपति प्रो. पवन कुमार शर्मा, कुल सचिव डॉ. सुनील कुमार, एनबीसीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के.पी. महादेवास्वामी, मुख्य महाप्रबंधक राजीव कुमार सहित विश्वविद्यालय और एनबीसीसी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। अधिकारियों ने इसे विश्वविद्यालय के दीर्घकालिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया।
परियोजना के तहत कुल 41,339 वर्गमीटर निर्मित क्षेत्रफल में छह प्रमुख भवनों का निर्माण किया जाएगा। इन भवनों का उद्देश्य विश्वविद्यालय की शैक्षिक, शोध और आवासीय क्षमताओं को मजबूत करना है। निर्माण योजना में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ब्लॉक, व्याख्यान कक्ष परिसर, सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर, कंप्यूटर सेंटर भवन और छात्राओं के लिए आधुनिक छात्रावास शामिल हैं।
स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ब्लॉक में स्मार्ट कक्षाएं, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, संकाय कक्ष और सहयोगात्मक शैक्षणिक स्थान विकसित किए जाएंगे। वहीं, मौजूदा शैक्षिक ब्लॉक के पीछे 16 आधुनिक व्याख्यान कक्षों का एक अलग परिसर बनाया जाएगा, जिससे छात्रों की कक्षा सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार होगा।
अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी, जहां उन्नत शोध उपकरण और विश्लेषणात्मक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा, शैक्षिक कंप्यूटिंग और ई-गवर्नेंस सेवाओं के लिए एक केंद्रीकृत कंप्यूटर सेंटर भी विकसित किया जाएगा। छात्राओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए 630 क्षमता वाला नया गर्ल्स हॉस्टल भी परियोजना का अहम हिस्सा है।
परियोजना में संधारणीय विकास पर विशेष जोर दिया गया है। सौर ऊर्जा प्रणालियों और हरित निर्माण तकनीकों को अपनाते हुए इसे न्यूनतम गृह (जीआरआईएचए) 3-स्टार रेटिंग के अनुरूप विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे ऊर्जा दक्षता बढ़ेगी और पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि यह नई अवसंरचना शिक्षण गुणवत्ता, शोध क्षमताओं और छात्र जीवन को बेहतर बनाएगी। एनबीसीसी अधिकारियों ने समयबद्ध और गुणवत्ता आधारित निर्माण का भरोसा जताया। यह परियोजना न केवल सीयूएच के शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगी, बल्कि क्षेत्र में उच्च शिक्षा और शोध को भी नई दिशा देगी।
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