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साढ़ेसाती और शनि दोष से परेशान? 7 शनिवार व्रत से मिले राहत
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शनिवार व्रत और शनिदेव पूजा से खुलते हैं जीवन के बंद दरवाजे, जानें पूरी विधि और उपाय
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जिनकी कुंडली में शनि दोष, साढ़े साती या ढैय्या का प्रभाव होता है, उन्हें जीवन में कई बाधाओं और असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्तियों के लिए शनिवार का व्रत और शनिदेव की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सात लगातार शनिवार व्रत करने से शनि दोष शांत होता है। इससे जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं और व्यक्ति के लिए नए अवसर खुलते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि व्रत की शुरुआत शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से करनी चाहिए।
शनिवार व्रत और पूजा की विधि
भोर में उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें। शनिदेव की प्रतिमा को जल से अभिषेक करें। पूजा में गुड़, काले कपड़े, काला तिल, उड़द दाल और सरसों का तेल अर्पित करें। दीपक में सरसों का तेल जलाएं और शनि चालीसा व शनि कथा का पाठ करें। अंत में काली उड़द की खिचड़ी या पूरी का भोग अर्पित कर आरती करें। पूजा के दौरान सीधे शनिदेव की आंखों में न देखने का परंपरागत नियम है।
यदि किसी के पास शनिदेव का मंदिर नहीं है, तो पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। जो लोग व्रत नहीं रख पाते, वे हर शनिवार छाया दान या सरसों के तेल का दान कर सकते हैं। इससे भी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शनिदेव की कृपा मिलती है।
माना जाता है कि“साढ़े साती के समय नियमित व्रत और पूजा करने से शनि दोष शांत होता है। यह न केवल पारिवारिक कलह और आर्थिक बाधाओं को कम करता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी घटाता है।”
धार्मिक ग्रंथों और लोक आस्थाओं के अनुसार, सात शनिवार व्रत श्रद्धा और निष्ठा के साथ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है। इससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत बनता है।
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