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भारत मंडपम में इंटरनेशनल जनमंगल सम्मेलन, ‘हर मास–एक उपवास’ को जनआंदोलन का रूप...
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स्वामी रामदेव और आचार्य प्रसन्न सागर के मार्गदर्शन में उपवास आधारित जीवनशैली का संदेश, ओम बिरला सहित विशिष्टजनों ने लिया संकल्प
देश की राजधानी स्थित भारत मंडपम में शुक्रवार को दो दिवसीय “इंटरनेशनल जनमंगल सम्मेलन” का आयोजन हुआ, जिसमें उपवास और योग को जनस्वास्थ्य से जोड़ने वाले एक व्यापक अभियान ‘हर मास–एक उपवास’ की शुरुआत की गई। योगऋषि स्वामी रामदेव और जैन संत अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर के मार्गदर्शन में शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य समाज में संयम, स्वास्थ्य और आत्मविकास को जनआंदोलन का रूप देना है। सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री, सांसद, संत, चिकित्सक और विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत मंडपम की धरती एक बार फिर अध्यात्म और सांस्कृतिक चेतना का साक्षी बन रही है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन अध्यात्म और कर्मयोग का ऐसा संगम है, जो न केवल देश बल्कि दुनिया को संतुलित जीवनशैली का स्पष्ट संदेश देगा। ओम बिरला ने स्वयं हर महीने एक दिन उपवास करने का संकल्प भी लिया और कहा कि उपवास से शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं तथा आत्मसंयम विकसित होता है।
जैन संत अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर ने उपवास को आत्मिक ऊर्जा जागृत करने वाला साधन बताया। उन्होंने कहा कि उपवास का उद्देश्य केवल भोजन त्याग नहीं, बल्कि तन, मन और आत्मा की शुद्धि है। उपवास से मन शांत होता है, क्रोध और नकारात्मकता में कमी आती है तथा ध्यान गहराता है। उन्होंने यह भी कहा कि उपवास शरीर को प्राकृतिक उपचार की अवस्था में ले जाता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
स्वामी रामदेव ने अपने संबोधन में कहा कि उपवास का महत्व सभी धर्मों, परंपराओं और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में समान रूप से स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि उपवास से अंतःकरण की शुद्धि होती है और व्यक्ति सहज योग की अवस्था को प्राप्त करता है। स्वामी रामदेव ने नागरिकों से आग्रह किया कि सप्ताह में नहीं तो कम से कम महीने में एक बार उपवास अवश्य करें।
सम्मेलन में आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से उपवास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अत्यधिक भोजन कई रोगों की जड़ है और उपवास संयम का सबसे प्रभावी माध्यम है। उन्होंने 15 दिन में एक बार उपवास करने का संकल्प भी लिया। जैन मुनि पीयूष सागर ने उपवास को इम्यूनिटी बूस्टर बताते हुए कहा कि यह जीवन में पात्रता, पवित्रता और पावनता लाता है।
कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, लिवर विशेषज्ञ डॉ. एस.के. सरीन, इंडिया टीवी के चेयरमैन रजत शर्मा और दिल्ली सरकार के मंत्री प्रवेश वर्मा ने भी अपने विचार रखे। वक्ताओं ने उपवास के वैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पक्षों पर जोर दिया। सम्मेलन के समापन पर ‘हर मास–एक उपवास’ को व्यापक जनभागीदारी से आगे बढ़ाने का आह्वान किया गया।
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