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"भूला हुआ अध्याय": सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना पर CJI गवई की प्रतिक्रिया, साथी जज बोले – ये मजाक नहीं, SC का अपमान है
Digital Desk

6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश की गई। इस शर्मनाक घटना पर जहां CJI गवई ने इसे "भूला हुआ अध्याय" बताकर आगे बढ़ने की बात कही
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की। इस असभ्य और अभूतपूर्व घटना ने न्यायपालिका के सम्मान और सुरक्षा को लेकर बहस छेड़ दी है।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए CJI गवई ने सोमवार को कहा,
"मैं और मेरे विद्वान साथी (न्यायाधीश) सोमवार को जो कुछ हुआ उससे स्तब्ध जरूर हैं, लेकिन हमारे लिए यह एक भूला हुआ अध्याय है।"
उन्होंने कार्यवाही को बिना किसी व्यवधान के आगे बढ़ाया और घटना को ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
जस्टिस उज्ज्वल भुइयां का विरोध
CJI के इस शांत रुख से सहमत न होते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने कहा:
"वह भारत के CJI हैं, यह कोई मजाक नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट का अपमान है।"
उन्होंने इस कृत्य की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की तीखी प्रतिक्रिया
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस घटना को "अक्षम्य" बताया और कहा:
"CJI पर हमला लोकतंत्र और न्यायपालिका दोनों पर हमला है। गवई साहब की उदारता प्रशंसनीय है, लेकिन ऐसे कृत्यों के लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है।"
CJI गवई का दोहराया गया बयान
अपने साथी जज की टिप्पणी के जवाब में CJI गवई ने फिर दोहराया:
"हमारे लिए यह एक भूला हुआ अध्याय है।"
और इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट की कार्यवाही जारी रखी।
क्या हुआ था 6 अक्टूबर को?
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सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान राकेश किशोर नामक वकील ने अचानक CJI गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की।
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सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया और कोर्ट रूम से बाहर ले गए।
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बाहर निकलते समय आरोपी चिल्ला रहा था:
"सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।"
कौन है आरोपी राकेश किशोर?
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राकेश किशोर एक वकील है, जिसने कथित तौर पर न्यायपालिका में "सनातन धर्म" के प्रति कथित पक्षपात के खिलाफ प्रदर्शन करने की बात कही।
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अब तक उसके खिलाफ सुरक्षा उल्लंघन और अदालत की अवमानना के तहत कार्रवाई की जा रही है।
क्या यह केवल "भूला हुआ अध्याय" है?
जहां CJI ने संयम और शांति का परिचय दिया है, वहीं न्यायपालिका और कानून के जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्था में इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और इन्हें नजरअंदाज करना उचित नहीं