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पाकिस्तान में सैन्य संकट गहराया: असीम मुनीर को CDF बनाने में शहबाज सरकार का विलंब, नवाज शरीफ ने रची सियासी रणनीति
digital desk
27वें संविधान संशोधन के बाद बढ़ी सेना की शक्तियां, पीएम शहबाज और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कथित रणनीति ने राजनीतिक माहौल को और तनावपूर्ण बनाया
पाकिस्तान में हाल ही में हुए 27वें संविधान संशोधन ने देश में राजनीतिक और सैन्य संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस संशोधन के तहत सेना की शक्तियां बढ़ाई गई हैं और खासतौर पर असीम मुनीर के लिए नए पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स (CDF) का रास्ता साफ किया गया है। लेकिन फिलहाल यह पद और नोटिफिकेशन जारी नहीं हुए हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने असीम मुनीर की नियुक्ति को टाल दिया है। इसके पीछे कथित तौर पर उनके और उनके बड़े भाई नवाज शरीफ की रणनीति मानी जा रही है। नवाज शरीफ ने reportedly शहबाज को चेताया है कि यदि मुनीर को CDF बना दिया गया तो सरकार केवल एक प्रतीकात्मक पद पर सीमित रह जाएगी और अहम निर्णय लेने में असमर्थ होगी।
असीम मुनीर का तीन साल का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो चुका है। तय समय तक नया नोटिफिकेशन जारी न होने की वजह से तकनीकी रूप से वह अब पाकिस्तान के सेना प्रमुख नहीं हैं। 29 नवंबर तक CDF पद पर उनकी नियुक्ति का आदेश जारी होना था, लेकिन 1 दिसंबर तक भी कोई घोषणा नहीं हुई। इससे स्पष्ट है कि शहबाज सरकार फिलहाल इस प्रक्रिया से दूरी बनाए हुए है।
पाकिस्तानी राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपचुनावों में पीएमएल-एन (शहबाज शरीफ की पार्टी) की जीत ने शरीफ परिवार को सेना की बढ़ती ताकत पर रोक लगाने का अवसर दिया है। मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि नवाज शरीफ ने असीम मुनीर को CDF बनाने का विरोध किया है और इसके उलट उन्हें सेना प्रमुख के पद से हटाने की कोशिश भी हो सकती है। इसके लिए नेशनल असेंबली में नए बिल लाने की संभावना जताई जा रही है।
हाल के माहौल में, जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मौत की अफवाहों और राजनीतिक अस्थिरता ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया है। असीम मुनीर इस माहौल में पीटीआई और अन्य विपक्षी ताकतों के निशाने पर हैं। ऐसे में शरीफ परिवार के कदमों से पाकिस्तान के सैन्य-राजनीतिक संतुलन पर सीधा असर पड़ने की संभावना है।
विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि असीम मुनीर को नया पद मिलता है या शरीफ बंधु उन्हें सत्ता से दूर रखने में सफल होते हैं। यह घटनाक्रम पाकिस्तान की सत्ता-संरचना और सेना की भूमिका पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकता है।
