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भिलाई में मां की मौत से टूटे युवक ने फांसी लगाकर की आत्महत्या
Bhilai, CG
बालोद निवासी चंद्रभान विश्वकर्मा ने मां के अंतिम संस्कार के लिए गांव जाने से पहले ही जीवन समाप्त कर लिया; पुलिस ने जेब से सुसाइड नोट बरामद किया
छत्तीसगढ़ के भिलाई नगर थाना क्षेत्र में एक युवक ने मां की मौत का सदमा बर्दाश्त न कर पाने के कारण फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना सुपेला अंडरब्रिज के पास हुई, जहां युवक का शव एक बड़े होर्डिंग टॉवर से लटका मिला। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच की और युवक की जेब से सुसाइड नोट बरामद किया, जिसमें उसने अपने मानसिक तनाव और मां की मौत के कारण यह कदम उठाने की बात लिखी थी।
पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान चंद्रभान विश्वकर्मा (ग्राम चौरेला, जिला बालोद) के रूप में हुई है। चंद्रभान भिलाई में एक स्टेशनरी दुकान में काम करता था। शुक्रवार को वह रोजाना की तरह घर से निकला था, लेकिन देर शाम तक लौटने पर परिजन चिंतित हो उठे। थोड़ी देर बाद सुपेला अंडरब्रिज के पास युवक का शव फंदे से लटका पाया गया।
मौके से पुलिस ने चंद्रभान का सुसाइड नोट और उनकी मां के तिजनहावन कार्यक्रम का कार्ड बरामद किया। कार्ड में 3 दिसंबर को मां के निधन का उल्लेख था। बताया गया कि चंद्रभान उसी दिन मां के अंतिम संस्कार के लिए बालोद जा रहा था, लेकिन उससे पहले ही उसने अपने जीवन का अंत कर दिया।
सुसाइड नोट में चंद्रभान ने लिखा कि वह पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से परेशान था और मां के निधन ने उसे भीतर तक तोड़ दिया। परिजनों ने भी बताया कि दो दिन से वह चुप रहने लगा था और किसी से बातचीत नहीं कर रहा था। यह स्पष्ट करता है कि युवक अपनी मां से गहरे भावनात्मक रूप से जुड़ा था।
पुलिस ने शव को नीचे उतारकर पंचनामा तैयार किया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है। पुलिस ने बताया कि सुसाइड नोट की जांच और परिजनों से विस्तृत पूछताछ के बाद ही पूरे मामले की पुष्टि होगी। जांच में यह भी पाया गया कि फांसी लगाते समय युवक का पैर जमीन से लगा हुआ था। पुलिस हर एंगल से इस घटना की जांच कर रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक समर्थन की कमी के कारण ऐसे मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। परिवार और समाज को इस तरह की परिस्थितियों में युवाओं के लिए संवेदनशील और सहयोगी माहौल बनाना आवश्यक है।
भिलाई में इस घटना ने न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि पारिवारिक सहारा न मिलने पर युवा गहरे मानसिक संकट में जा सकते हैं।
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