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1 मई से लागू होंगे नए निर्देश, पर्यावरण संरक्षण को लेकर सीएम मोहन यादव का बड़ा फैसला
Bhopal

फसल कटाई के बाद खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने की घटनाएं मध्यप्रदेश में तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला लिया है।
अब जो किसान खेतों में नरवाई जलाते पाए जाएंगे, उन्हें एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर फसल बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही ऐसे किसानों को सीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाले सालाना ₹6,000 का लाभ भी नहीं मिलेगा। यह आदेश आगामी 1 मई से प्रभावी हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए पर्यावरणीय संतुलन अत्यंत आवश्यक है। नरवाई जलाने से जहां वायु प्रदूषण में इजाफा होता है, वहीं खेतों की उर्वरक क्षमता और पोषक तत्वों को भी नुकसान पहुंचता है। सरकार पहले ही नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा चुकी है, लेकिन अब इस नियम को सख्ती से लागू किया जाएगा।
अतिक्रमण हटाने को विशेष अभियान
मुख्यमंत्री ने राजस्व और स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए कि वे सरकारी भूमि, कुएं-बावड़ी, तालाब और सार्वजनिक रास्तों से अतिक्रमण हटाने के लिए सघन अभियान चलाएं। जल स्रोतों के संरक्षण के लिए “जल गंगा संवर्धन अभियान” के तहत सभी जल संरचनाओं को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करना अनिवार्य किया गया है।
नामांतरण-बंटवारा कार्य तय समय में हों
बैठक में सीएम ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि नामांतरण और बंटवारा जैसे मामलों को तय समयसीमा में निपटाया जाए। साथ ही, केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के प्रकरणों को प्राथमिकता दी जाए।
साइबर तहसील परियोजना से मिले सकारात्मक परिणाम
राज्य सरकार की "साइबर तहसील" परियोजना की सफलता पर भी मुख्यमंत्री ने प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस नवाचार से अब तक लाखों राजस्व प्रकरणों का डिजिटल माध्यम से समाधान किया गया है। साइबर तहसील 3.0 के अंतर्गत अब तक 7 लाख से अधिक प्रकरण दर्ज हो चुके हैं। यह योजना राज्य की प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को नई दिशा दे रही है।
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