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सीएम ने पंचायत वर्कशॉप में कहा— चांद के प्रभाव से मनुष्यों में भावनात्मक उतार-चढ़ाव बढ़ते हैं; शासन-प्रशासन को मजबूत बनाने पर जोर
Bhopal, MP
राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में रविवार को पंचायत प्रतिनिधियों की राज्य स्तरीय कार्यशाला की शुरुआत हुई। ‘आत्मनिर्भर पंचायत—समृद्ध मध्यप्रदेश’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। आयोजन में प्रदेश के पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल, राज्य मंत्री राधा सिंह और बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि व अधिकारी मौजूद रहे।
स्कूलों की निगरानी और रिपोर्टिंग व्यवस्था मजबूत होगी
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में सीएम ने कहा कि जनपद और जिला पंचायत उपाध्यक्षों को स्कूल निरीक्षण में अधिक जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि निरीक्षण केवल एक औपचारिक दौरा नहीं होगा, बल्कि इसकी पूरी रिपोर्ट दर्ज की जाएगी ताकि प्रशासन शिक्षा से जुड़ी वास्तविक समस्याएं पहचान सके और त्वरित समाधान कर सके।

अमावस्या-पूर्णिमा पर व्यवहारिक बदलाव— सीएम का संदर्भ
मुख्यमंत्री ने संबोधन में प्रकृति और मानव व्यवहार के वैज्ञानिक व पारंपरिक संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि समुद्र में ज्वार-भाटा जिस तरह चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होता है, उसी तरह मानव शरीर में मौजूद पानी का संतुलन भी इन तिथियों पर असर महसूस करता है।
सीएम ने कहा—
“कुछ मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में अमावस्या और पूर्णिमा की अवधि में मरीजों की संख्या बढ़ने के अनुभव मिले हैं। यह विषय पारंपरिक भारतीय ज्ञान और आधुनिक व्यवहार विज्ञान— दोनों के संदर्भ में समझने योग्य है।”

ग्राम स्वशासन को अधिक अधिकार देने पर बल
सीएम ने कहा कि भारत की ग्रामीण परंपरा हमेशा से स्वशासी रही है और पंचायतें उसी विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि पंचायतों को अधिकार देकर स्थानीय संस्थाओं को सक्षम बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
“ग्रामीण अर्थव्यवस्था, योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन और पारदर्शी प्रशासन पंचायत स्तर पर ही मजबूत हो सकते हैं,” उन्होंने कहा।
पंचायत मंत्री बोले— समन्वय की कमी व्यवस्था को कमजोर करती है
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि पंचायती व्यवस्था अधिकार और कर्तव्य दोनों की साझेदारी पर आधारित है। उन्होंने माना कि कई स्थानों पर जिला पंचायत, जनपद और अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी विकास कार्यों की गति को प्रभावित करती है।
उन्होंने कहा—
“यदि जनप्रतिनिधि और अधिकारी एक-दूसरे की भूमिका को समझते हुए साथ काम करें, तो पंचायतें प्रशासनिक रूप से कहीं अधिक सक्षम हो सकती हैं।”
उत्कृष्ट जिलों और जनपदों को सम्मान
कार्यशाला के दौरान जल संरक्षण और खेत तालाब जैसी योजनाओं में बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को सम्मानित किया गया।
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जल गंगा संवर्धन अभियान: खंडवा पहले, रायसेन दूसरे और बालाघाट तीसरे स्थान पर रहा।
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खेत तालाब योजना: ‘ए’ श्रेणी में अनूपपुर और ‘बी’ श्रेणी में बालाघाट को पुरस्कार मिला।
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विकासखंड स्तर पर बालाघाट की बिरसा और अनूपपुर की पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत को सम्मानित किया गया।
वर्कशॉप में क्या-क्या सीखेंगे प्रतिनिधि?
तीन दिवसीय कार्यशाला में निम्न विषय शामिल हैं—
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पंचायतों की वित्तीय आत्मनिर्भरता
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स्वनिधि से समृद्धि अभियान
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ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं का समायोजन
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वाटरशेड व जल प्रबंधन
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स्वच्छ ग्राम अभियान की रणनीतियाँ
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पेयजल उपलब्धता
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पीएम आवास, ग्राम सड़क और पोषण योजना
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पेसा ग्राम सभाओं की मौजूदा स्थिति
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प्रशासनिक दक्षता, पारदर्शिता और प्रश्नोत्तर सत्र
कार्यशाला 26 नवंबर तक चलेगी और इसमें प्रदेशभर से लगभग 2000 प्रतिनिधि और अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
