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बेंगलुरु ट्रैफिक पर एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला का तंज: ‘अंतरिक्ष यात्रा शहर के जाम से आसान’
Jagran Desk
बेंगलुरु टेक समिट में पहुंचे शुक्ला ने मराठाहल्ली से एग्जीबिशन सेंटर तक 34 किमी सफर का अनुभव साझा किया; ट्रैफिक की तुलना अंतरिक्ष यात्रा से कर कहा—‘प्रेजेंटेशन से तीन गुना समय सड़क पर बिताया।’
बेंगलुरु के लगातार बिगड़ते ट्रैफिक हालात एक बार फिर चर्चा में आ गए, जब एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को शहर के जाम पर मजाकिया लेकिन तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में यात्रा करना बेंगलुरु के खराब ट्रैफिक को पार करने से कहीं ज्यादा आसान है।
शुभांशु शुक्ला कर्नाटक सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और बीटी विभाग द्वारा आयोजित बेंगलुरु टेक समिट में शामिल होने पहुंचे थे, जिसका थीम इस बार “फ्यूचराइज” रखा गया। कार्यक्रम में देश-विदेश की आईटी कंपनियों, स्टार्टअप्स, शोध संस्थानों और टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। शुक्ला ने अपने सत्र की शुरुआत शहर के ट्रैफिक अनुभव से की, जिसे सुनकर सभागार में मौजूद लोग मुस्कुराते नजर आए।
उन्होंने बताया कि वे मराठाहल्ली से बेंगलुरु इंटरनेशनल एग्जीबिशन सेंटर (BIEC) तक आए, जो लगभग 34 किलोमीटर की दूरी है। आमतौर पर यह सफर एक घंटे से अधिक समय लेता है, हालांकि शुक्ला ने ठीक-ठीक बताया नहीं कि उन्हें कितना समय लगा। लेकिन उन्होंने इस अनुभव को ऐसे साझा किया जिसने ट्रैफिक की गंभीर समस्या को हास्य के माध्यम से उजागर कर दिया।
शुक्ला ने कहा, “मैं बेंगलुरु के दूसरे छोर पर स्थित मराठाहल्ली से यहां पहुंचा हूं। मेरे इस प्रेजेंटेशन में जितना समय लगेगा, उससे तीन गुना समय मैंने सिर्फ सड़क पर बिताया है। उम्मीद है कि आप मेरे कमिटमेंट को समझेंगे।”
उनके इस बयान पर उपस्थित दर्शकों ने हंसी और तालियों से प्रतिक्रिया दी, लेकिन साथ ही यह तथ्य भी स्पष्ट हुआ कि देश की टेक राजधानी गंभीर यातायात संकट से जूझ रही है। यह मुद्दा लंबे समय से पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी के रूप में उभरता रहा है, जहां लाखों लोग प्रतिदिन इसी चुनौती का सामना करते हैं।
बेंगलुरु, जिसे “इंडिया की सिलिकॉन वैली” कहा जाता है, तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण, वाहन घनत्व और अवसंरचनात्मक दबाव के चलते ट्रैफिक जाम से बेहद परेशान है। स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया मिशन के केंद्र शहर होने के बावजूद ट्रैफिक मैनेजमेंट पर सवाल उठते रहे हैं। शुक्ला का बयान इसी वास्तविकता की ओर इशारा करता है और यह राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय समाचारों में भी स्थान पा रहा है।
समिट के सूत्रों के अनुसार, शुभांशु शुक्ला का सत्र अंतरिक्ष अनुसंधान, भविष्य की तकनीक और भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं पर केंद्रित था। लेकिन उनकी शुरुआत में कही गई ट्रैफिक टिप्पणी ने अकेले ही चर्चा का केंद्र बना लिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे सार्वजनिक मंचों पर प्रभावशाली व्यक्तियों की टिप्पणियाँ शहर प्रशासन को समाधान की दिशा में कदम तेज करने की प्रेरणा देती हैं। फिलहाल, शहरवासियों को उम्मीद है कि यह मुद्दा सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि बेंगलुरु के ट्रैफिक सुधार की नीति और योजनाओं को वास्तविक गति मिलेगी।
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