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मधेपुरा के डीएम ने रामगंज वैज्ञानिक शहद परियोजना को उत्तर बिहार का मॉडल बताया
Jagran Desk
CSIR–NBRI की वैज्ञानिक टीम और रामालय फाउंडेशन की पहल की सराहना; 40 किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, 200 मधुमक्खी बॉक्स स्थापित।
उत्तर बिहार में वैज्ञानिक आजीविका और जैव-विविधता संवर्धन को बढ़ावा देने वाली एक अहम पहल को मधेपुरा जिला प्रशासन से बड़ी प्रशंसा मिली है। जिलाधिकारी तरनजोत सिंह, IAS ने कुमारखण्ड प्रखंड के ग्राम रामगंज में चल रही वैज्ञानिक मधुमक्खी प्रबंधन एवं जैव-विविधता संवर्धन परियोजना का निरीक्षण करते हुए इसे “उत्तर बिहार का आदर्श मॉडल’’ बताया।

निरीक्षण के दौरान डीएम ने परियोजना के क्रियान्वयन में जुटी रमालया फाउंडेशन और इसकी सामाजिक इकाई अर्थ एंड फॉरेस्ट की भूमिका की विशेष सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रशांत कुमार द्वारा ग्रामीणों को प्रकृति, जैव-विविधता और वैज्ञानिक आजीविका से जोड़ने का प्रयास “प्रेरणा देने वाला और क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने वाला” है।

वैज्ञानिक टीम की योगदान की सराहना
डीएम ने CSIR–NBRI/NBRL लखनऊ के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन को परियोजना की सफलता का प्रमुख आधार बताया।
मुख्य वैज्ञानिक डॉ. बिकर्मा सिंह और डॉ. सुशील कुमार द्वारा किसानों को परागण पारिस्थितिकी, वनस्पति योजना और वैज्ञानिक मधुमक्खी प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह पहल भारत समाचार अपडेट के संदर्भ में एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि विज्ञान किस प्रकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकता है।

स्थल निरीक्षण और किसानों से संवाद
जिलाधिकारी तरनजोत सिंह ने मौके पर—
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किसानों को प्रमाणपत्र वितरित किए
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ग्रामवासियों से संवाद किया
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जैव-विविधता क्षेत्रों और मधुमक्खी बक्सों का निरीक्षण किया
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वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया
उन्होंने किसानों से परियोजना के अनुभव पूछे और वैज्ञानिक प्रशिक्षण का वास्तविक प्रभाव समझा। कई किसानों ने बताया कि मधुमक्खी पालन और जैव-विविधता प्रबंधन से उनकी आय और कृषि उत्पादन में सुधार की उम्मीद बढ़ी है।
समन्वित प्रशासनिक प्रयासों के निर्देश
डीएम ने कृषि, उद्यान, वन विभाग, KVK, जीविका और प्रखंड/जिला प्रशासन को एक साथ मिलकर इस परियोजना को “पूर्ण सहयोग” देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विभागीय तालमेल से रामगंज को उत्तर बिहार के प्रमुख वैज्ञानिक शहद उत्पादन गलियारे के रूप में विकसित किया जा सकता है।
परियोजना की रूपरेखा
रमालया फाउंडेशन और CSIR–NBRI के संयुक्त प्रयास से चल रही इस परियोजना में—
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40 किसानों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण
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200 मधुमक्खी बॉक्स स्थापित
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जैव-विविधता क्षेत्र विकसित
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ग्रामीणों को शहद उत्पादन, परागण और पौध विविधता के महत्व से जोड़ा जा रहा है
जिलाधिकारी ने आशा व्यक्त की कि यह मॉडल आने वाले वर्षों में पूरे उत्तर बिहार और पूर्वी भारत के लिए एक प्रेरणा बनेगा। उन्होंने परियोजना को पूर्ण प्रशासनिक सहयोग देने का भरोसा भी दिया।
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