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संगीत से विधानसभा तक: 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर ने बदला अलीनगर का चुनावी समीकरण, BJP को मिला युवा करिश्मा
Digital Desk
बिहार की सियासत में इस बार सबसे बड़ी कहानी किसी अनुभवी नेता की जीत नहीं, बल्कि एक 25 वर्षीय लोकगायिका की अप्रत्याशित उभार है। मैथिली ठाकुर, जो अब तक अपने मधुर सुरों से देश-भर में पहचान रखती थीं, अब अलीनगर विधानसभा सीट पर भारी बढ़त बनाकर राजनीति में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। उनकी यह बढ़त न सिर्फ उनके लिए ऐतिहासिक है, बल्कि बीजेपी के लिए भी एक बड़े रणनीतिक बदलाव का संकेत मानी जा रही है।
बिहार की सियासत में इस बार सबसे बड़ी कहानी किसी अनुभवी नेता की जीत नहीं, बल्कि एक 25 वर्षीय लोकगायिका की अप्रत्याशित उभार है। मैथिली ठाकुर, जो अब तक अपने मधुर सुरों से देश-भर में पहचान रखती थीं, अब अलीनगर विधानसभा सीट पर भारी बढ़त बनाकर राजनीति में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
उनकी यह बढ़त न सिर्फ उनके लिए ऐतिहासिक है, बल्कि बीजेपी के लिए भी एक बड़े रणनीतिक बदलाव का संकेत मानी जा रही है।
युवा चेहरा, नई ऊर्जा
अलीनगर सीट, जिसे वर्षों से राजद का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है, इस बार पूरी तरह बदलती दिख रही है।
24वें राउंड तक मैथिली ठाकुर अपने प्रतिद्वंद्वी विनोद मिश्रा (राजद) पर 12,000+ वोटों की निर्णायक बढ़त बनाए हुए थीं।
जनता का यह समर्थन बताता है कि अब बिहार की राजनीति में युवा नेतृत्व की मांग तेजी से बढ़ रही है।
संगीत से मिली लोकप्रियता, राजनीति में मिली स्वीकार्यता
मैथिली सिर्फ एक सोशल मीडिया स्टार नहीं, बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान का चेहरा हैं।
उनका संगीत, लोक परंपराओं से जुड़ाव और परिवार की तिकड़ी—इन सबने उन्हें आम लोगों के बीच पहले ही बेहद प्रिय बना दिया था।
बीजेपी ने इसी लोकप्रियता को राजनीति में एक अवसर के रूप में देखा और सही समय पर सही दांव खेला।
विकास का वादा, सांस्कृतिक पहचान पर फोकस
प्रचार के दौरान मैथिली ठाकुर ने दो मुख्य वादे जनता से किए—
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तेज विकास कार्य
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अलीनगर का नाम बदलकर ‘सीतानगर’
नाम परिवर्तन का प्रस्ताव क्षेत्रीय भावनाओं से सीधे जुड़ता है, जबकि विकास एजेंडा युवाओं और महिलाओं को आकर्षित कर रहा है।
सबसे कम उम्र की विधायक बनने की तैयारी
बिहार में अब तक 26 वर्ष से कम उम्र में विधायक बनने के सिर्फ दो उदाहरण थे—
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2005 में तौसीफ आलम
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2015 में तेजस्वी यादव
मैथिली ठाकुर इससे भी कम उम्र में विधानसभा का टिकट जीतने के करीब हैं, जो बिहार की राजनीति में पीढ़ी परिवर्तन का संकेत है।
मैथिली की कहानी: घर की पाठशाला से राष्ट्र मंच तक
मधुबनी में जन्मी मैथिली ने बचपन में ही संगीत की शिक्षा पिता और दादा से पाई।
दिल्ली में पढ़ाई के दौरान छात्रवृत्ति हासिल की, फिर DU से स्नातक पूरा किया।
यूट्यूब, फेसबुक और रियलिटी शो ने उनके कॅरियर को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया।
2021 में उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ युवा पुरस्कार ने उनके सफर को और मुकम्मल बनाया।
बिहार की राजनीति में नया मोड़
मैथिली ठाकुर की संभावित जीत बिहार की राजनीतिक संरचना में दो बड़े बदलाव की ओर इशारा करती है—
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युवा चेहरे अब मुख्यधारा में आ रहे हैं
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लोकप्रियता और सांस्कृतिक पहचान राजनीति का नया हथियार बन रहे हैं
अगर मैथिली अपने चुनावी वादों पर कायम रहती हैं, तो वह आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीति में एक निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।
