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हरिद्वार में ‘विश्व सनातन महापीठ’ का शिलापूजन 21 नवंबर को: 1000 करोड़ की मेगा परियोजना आध्यात्मिक भारत की नई पहचान बनेगी
Jagran Desk
100 एकड़ में बन रहा वैश्विक सनातन केंद्र; वैदिक-आधुनिक गुरुकुल, सनातन संसद भवन, 108 यज्ञशालाएँ और तीर्थयात्री परिसर परियोजना का हिस्सा
हरिद्वार में 1000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित होने जा रही ‘विश्व सनातन महापीठ’ का शिलापूजन 21 नवंबर को प्रातः 9 बजे भूपतवाला में आयोजित होगा। तीर्थ सेवा न्यास द्वारा विकसित यह विशाल आध्यात्मिक परियोजना आने वाले वर्षों में भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैदिक पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का लक्ष्य रखती है। यह आयोजन केवल शिलापूजन नहीं, बल्कि सनातन पुनर्जागरण की दिशा में एक ऐतिहासिक शुरुआत माना जा रहा है।
क्या है परियोजना और क्यों महत्वपूर्ण?
महापीठ को विश्व का सबसे विशाल सनातन केंद्र बनाने की परिकल्पना की गई है। लगभग 100 एकड़ में विकसित होने वाला यह परिसर धर्म, शिक्षा, संस्कृति, अध्यात्म और राष्ट्र चेतना का सम्मिलित रूप होगा।
तीर्थ सेवा न्यास के अनुसार, यह परियोजना भविष्य में देश-विदेश के साधु-संतों, विद्वानों, शोधकर्ताओं और युवाओं के लिए वैदिक ज्ञान का अंतरराष्ट्रीय केंद्र सिद्ध होगी।
वैदिक और आधुनिक शिक्षा का अद्वितीय गुरुकुल
परियोजना का प्रमुख आकर्षण एक आवासीय वैदिक-आधुनिक गुरुकुल है, जहाँ विद्यार्थियों को—
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वैदिक शिक्षा
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आधुनिक विज्ञान
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स्वरोजगार प्रशिक्षण
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शस्त्र-विद्या
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योग, आयुर्वेद और जीवन प्रबंधन
जैसे विषयों में प्रशिक्षित किया जाएगा।
गुरुकुल का उद्देश्य ऐसे युवाओं को तैयार करना है जो अध्यात्म, समाज और राष्ट्र सेवा के सम्मिलित मार्ग पर चलकर नेतृत्व प्रदान कर सकें।
विश्व का पहला ‘सनातन संसद भवन’
महापीठ के केंद्र में बनने वाला सनातन संसद भवन विश्व का पहला ऐसा धर्म-नीति केंद्र होगा, जहाँ विभिन्न पंथों, अखाड़ों और परंपराओं के प्रतिनिधि समय-समय पर एकत्र होकर धर्मादेश और सांस्कृतिक नीति-निर्णय करेंगे। इसे भविष्य में वैश्विक सनातन एकता के आध्यात्मिक केंद्र के रूप में देखा जा रहा है।
युवाओं के लिए स्वरोजगार और शस्त्र-प्रशिक्षण केंद्र
परियोजना में एक बड़ा स्वरोजगार एवं शस्त्र-प्रशिक्षण केंद्र भी प्रस्तावित है, जिसका लक्ष्य प्रति वर्ष एक लाख युवाओं को आत्मरक्षा, कृषि, हस्तकला, योग, आयुर्वेद और तकनीकी दक्षता का प्रशिक्षण देना है। इसका उद्देश्य “धर्म रक्षा से राष्ट्र रक्षा” की अवधारणा को व्यवहार में उतारना है।
शंकराचार्य पीठ प्रेरणा परिसर और अखाड़ा केंद्र
महापीठ में द्वारका, पुरी, श्रृंगेरी और ज्योतिर्मठ—चारों शंकराचार्य पीठों के नाम से प्रेरणा परिसर बनाए जा रहे हैं। इसके साथ 13 अखाड़ों और विभिन्न सनातन परंपराओं—जैन, बौद्ध, आर्य समाज, कबीर, नाथ, सिख आदि—के लिए अलग परिसर विकसित होंगे, जिनमें उनकी शिक्षाओं और योगदान का प्रदर्शन होगा।
यज्ञशालाएँ, संत आवास और तीर्थयात्री सुविधा
महापीठ के अंतर्गत—
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108 यज्ञशालाएँ,
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108 संत आवास,
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1008 तीर्थयात्री आवास,
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विशाल ध्यान केंद्र
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वेद मंदिर एवं वेद अध्ययन केंद्र
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“सनातन टाइम म्यूजियम”
जैसी संरचनाएँ शामिल हैं। पूरे परिसर को आधुनिक सुविधाओं के साथ आध्यात्मिक वातावरण में विकसित किया जा रहा है।
क्या कहा आयोजकों ने?
तीर्थ सेवा न्यास ने देश-विदेश के श्रद्धालुओं से इस परियोजना में सहयोग का आह्वान किया है। दानदाताओं के नाम “दाता दीर्घा” में स्थायी रूप से अंकित किए जाएंगे और उन्हें महापीठ के विशेष कार्यक्रमों में आमंत्रण दिया जाएगा।
अगले कदम
21 नवंबर को होने वाला शिलापूजन कार्यक्रम देशभर के संतों, महात्माओं, विद्वानों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आयोजित होगा। आयोजन को आध्यात्मिक नवजागरण की ओर महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो हरिद्वार को वैश्विक सनातन केंद्र के रूप में नई पहचान देगा।
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