- Hindi News
- राज्य
- मध्य प्रदेश
- छात्रावास में 7 वर्षीय छात्रा की मौत, अधीक्षिका निलंबित; घटना के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
छात्रावास में 7 वर्षीय छात्रा की मौत, अधीक्षिका निलंबित; घटना के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
Alirajpur, MP
कट्ठीवाड़ा के कन्या आश्रम में 7 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत; परिजनों ने सूचना न देने का आरोप लगाया, पुलिस जांच शुरू; विधायक बोलीं— ‘सरकार कार्यक्रमों की चमक में जमीनी पीड़ा भूल गई’
मध्य प्रदेश के आलीराजपुर जिले में शनिवार सुबह कन्या आश्रम काबरीसेल छात्रावास में दूसरी कक्षा की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने स्थानीय प्रशासन और स्कूली प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना उस समय सामने आई जब जिला मुख्यालय पर मुख्यमंत्री मोहन यादव जनजातीय गौरव दिवस समारोह में मौजूद थे।
मृतक बच्ची की पहचान चचरिया उम्दा निवासी कृतिका बघेल (7 वर्ष) के रूप में हुई है। सुबह 8 से 9 बजे के बीच उसकी तबीयत अचानक बिगड़ी और कुछ ही देर में हालत गंभीर हो गई। छात्रावास प्रबंधन बच्ची को प्राथमिक उपचार और समय पर चिकित्सा उपलब्ध कराने के सवालों पर स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया।
अधीक्षिका सुकमा चौहान निलंबित
घटना के बाद सहायक आयुक्त ने कन्या आश्रम की अधीक्षिका सुकमा चौहान को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया। जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रबंधन की लापरवाही प्रथम दृष्टया सामने आई है, जिसकी विस्तृत जांच जारी है।
अस्पताल पहुंचने पर मृत घोषित
बच्ची को कट्ठीवाड़ा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजकर जांच शुरू की है। अधिकारियों के अनुसार, मौत का वास्तविक कारण पीएम रिपोर्ट के बाद स्पष्ट होगा।
परिजनों का आरोप— “पहले सूचना नहीं दी”
घटना के बाद परिजन और स्थानीय लोग गुस्से में नजर आए। परिवार ने आरोप लगाया कि छात्रा की तबीयत बिगड़ने की सूचना उन्हें समय पर नहीं दी गई जबकि प्रबंधन पहले से स्थिति जानता था। परिजनों ने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
विधायक ने सरकार को घेरा
जोबट से कांग्रेस विधायक सेना महेश पटेल मौके पर पहुंचीं और उन्होंने सरकार पर सीधा हमला बोला। विधायक ने कहा—
“सरकार आदिवासी गौरव यात्रा की चमक दिखाने में व्यस्त है, जबकि जमीनी हकीकत की पीड़ा सुनने तक की संवेदना नहीं बची। आदिवासी बच्चियों की सुरक्षा बार-बार खतरे में पड़ रही है, लेकिन न जवाबदेही तय होती है, न सख्त कार्रवाई होती है।”
उन्होंने सहायक आयुक्त और BEO के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की।
राजनीतिक कार्यक्रमों में व्यस्त अधिकारी, आरोपों से घिरा प्रशासन
स्थानीय लोगों ने बताया कि घटना के समय जिले के ज्यादातर अधिकारी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मौजूद थे। ऐसे में आंचलिक क्षेत्रों में अव्यवस्था बनी रही और छात्रावासों में अचानक हालात संभालने वाला कोई वरिष्ठ अधिकारी उपलब्ध नहीं था।
छात्रावासों पर पहले भी उठ चुके सवाल
क्षेत्र के ग्रामीणों ने कहा कि छात्रावासों में बच्चों की तबीयत बिगड़ने और अचानक मौत की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। जांच समितियां गठित होने के बावजूद उनकी रिपोर्टें सार्वजनिक नहीं की गईं, जिससे प्रशासन की पारदर्शिता पर लगातार प्रश्नचिह्न लगते रहे हैं।
पुलिस ने छात्रावास स्टाफ, वार्डन और प्रबंधन से पूछताछ शुरू कर दी है। प्रशासन ने मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
हमारे आधिकारिक प्लेटफॉर्म्स से जुड़ें –
🔴 व्हाट्सएप चैनल: https://whatsapp.com/channel/0029VbATlF0KQuJB6tvUrN3V
🔴 फेसबुक: Dainik Jagran MP/CG Official
🟣 इंस्टाग्राम: @dainikjagranmp.cg
🔴 यूट्यूब: Dainik Jagran MPCG Digital
📲 सोशल मीडिया पर जुड़ें और बने जागरूक पाठक।
👉 आज ही जुड़िए!
