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पाकिस्तान के पूर्व ISI चीफ फैज हमीद को 14 साल कैद, चार गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया गया
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पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी माने जाने वाले फैज हमीद पर राजनीतिक गतिविधियों और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग के आरोप; मिलिट्री कोर्ट ने सुनाई सजा
पाकिस्तान में पहली बार इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के पूर्व महानिदेशक को कठोर सजा मिलने के बाद देश की राजनीति और सैन्य प्रतिष्ठान में हलचल तेज हो गई है। सेना की विशेष अदालत ने बुधवार को रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को चार गंभीर आरोपों में दोषी पाते हुए 14 वर्ष कैद की सजा सुनाई। यह फैसला करीब 15 महीनों तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद आया है।
सेना के आधिकारिक बयान के अनुसार, अदालत ने माना कि हमीद ने अपने पद का दुरुपयोग किया, राजनीतिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप किया, राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी गोपनीय सूचनाएं सुरक्षित रखने में लापरवाही बरती और सरकारी संसाधनों का निजी हितों के लिए इस्तेमाल किया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हमीद को कानून के तहत अपील का पूरा अधिकार दिया गया है।
फैज हमीद, जिन्हें पेशावर कोर कमांडर और 2019–21 के दौरान ISI प्रमुख के रूप में जाना जाता है, लंबे समय तक पाकिस्तान की सत्ता संरचना में प्रभावशाली भूमिका निभाते रहे। सेना और राजनीतिक हलकों में उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का सबसे विश्वसनीय अधिकारी माना जाता था। यही कारण है कि उनके खिलाफ हुई यह सख्त कार्रवाई पाकिस्तान की सत्ता संरचना में एक बड़े बदलाव का संकेत मानी जा रही है।
हमीद को पिछले वर्ष 12 अगस्त को एक रियल एस्टेट घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शुरू हुई थी, जिसके बाद सेना ने स्वतंत्र जांच समिति गठित की। जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और कोर्ट मार्शल शुरू किया गया।
जांच के दौरान उनके ऊपर लगाए गए आरोपों में एक प्रमुख मामला टॉप सिटी हाउसिंग प्रोजेक्ट से जुड़ा पाया गया, जिसमें परियोजना प्रबंधन ने हमीद पर गैरकानूनी दबाव बनाने और छापेमारी के दौरान अधिकारों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, सरकारी अभिलेखों और उच्च सुरक्षा दस्तावेजों के संचालन में चूक भी उनके खिलाफ मामले का आधार बनी।
फैज हमीद का नाम पिछले कुछ वर्षों में कई विवादों में उल्लेखित रहा। 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के कुछ हफ्तों बाद उनकी काबुल यात्रा अंतरराष्ट्रीय चर्चा का कारण बनी थी। उनकी तालिबानी नेतृत्व से मुलाकात ने पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक असहजता पैदा की थी और उसी अवधि में उन्हें ISI के शीर्ष पद से हटाया गया।
इस फैसले को पाकिस्तान में सेना की आंतरिक जवाबदेही प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने की मिसाल माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के बीच लंबे समय से चल रही अविश्वास की स्थिति को भी उजागर करता है।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हमीद अपील दायर करेंगे या नहीं, लेकिन सजा के बाद पाकिस्तान में सत्ता-सैन्य समीकरणों पर इसका प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है।
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