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मलाड ईस्ट SRA प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला? Shah Housecon Pvt Ltd पर धोखाधड़ी और फंड के दुरुपयोग के गंभीर आरोप
Jagran Desk
किरायेदारों और अतिक्रमणकारियों से पैसा लेकर पुनर्वास का वादा; हाईकोर्ट में याचिकाएं, कई पीड़ितों का दावा—न किराया मिला, न घर का आवंटन।
मुंबई के मलाड ईस्ट में चल रहे SRA प्रोजेक्ट को लेकर Shah Housecon Pvt Ltd (SHPL) पर गंभीर धोखाधड़ी, जालसाजी और फंड के दुरुपयोग के आरोप सामने आए हैं। कंपनी के संचालक मनसुख शाह और आकाश शाह के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने पुनर्वास योजना के नाम पर धन जुटाया, लेकिन उसे निजी लाभ के लिए खर्च किया। यह मामला स्थानीय स्तर पर चर्चा में है और कई किरायेदारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह विवाद आज की ताज़ा ख़बरों और भारत समाचार अपडेट का अहम हिस्सा बन गया है।
आरोपों के अनुसार, SHPL ने झुग्गी-झोपड़ी निवासियों और अतिक्रमणकारियों से पुनर्वास के नाम पर ₹24,000 प्रति व्यक्ति जमा करवाया था। इसके एवज में घर आवंटित करने का वादा किया गया, लेकिन अधिकांश लाभार्थियों को न तो घर मिला और न ही उचित दस्तावेज। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कंपनी ने अस्थायी रूप से कब्ज़ा देने का दिखावा किया और बाद में नियमित किराया वसूलना शुरू कर दिया। कई निवासियों ने इसे शोषण करार दिया है।
कंपनी पर यह भी आरोप है कि उसने कई MOU और वित्तीय समझौतों पर हस्ताक्षर करके निवेशकों और डेवलपर्स से धन उधार लिया, जिसके बाद अचानक समाप्ति नोटिस जारी कर दिए। आरोपियों ने कथित रूप से इस धन का उपयोग प्रोजेक्ट के बजाय निजी व्यवसाय में किया। पीड़ित पक्ष ने दावा किया कि SHPL ने परियोजना की स्थिति और अनुमोदनों के बारे में गलत जानकारी देकर लोगों को भ्रमित किया, जिससे यह मामला पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी का रूप ले चुका है।
मलाड ईस्ट के जय हनुमान और दादी SRA प्रोजेक्ट से जुड़े दर्जनों किरायेदारों ने बताया कि उन्हें न तो किराया मिल रहा है और न ही स्थायी पुनर्वास। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि SHPL द्वारा वादा किए गए लाभ कहीं भी जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देते। कोर्ट में दर्ज 13.2 ऑर्डर में भी कंपनी के खिलाफ आपत्तियां दर्ज हैं।
पीड़ित किरायेदार शांताबेन और हीराबेन का कहना है कि वे वर्षों से पुनर्वास और किराए की प्रतीक्षा कर रही हैं, लेकिन SHPL से कोई जवाब नहीं मिला। दोनों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने उनके दस्तावेज जमा कराए, पैसा लिया, लेकिन उन्हें न घर दिया और न किराया भुगतान किया। उन्होंने इसे जीवनभर की बचत के साथ धोखा बताते हुए न्याय की मांग की है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि SRA प्रोजेक्ट की आड़ में फर्जीवाड़े की यह घटना प्रशासनिक निगरानी पर भी सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि आरोप सही पाए गए तो यह मामला मुंबई में हाल के वर्षों की सबसे बड़ी SRA धोखाधड़ी में से एक बन सकता है।
फिलहाल, मामले की शिकायतें विभिन्न मंचों पर लंबित हैं और पीड़ितों ने सरकार और SRA प्राधिकरण से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। अब देखना होगा कि आगे जांच किस दिशा में बढ़ती है और क्या प्रभावित परिवारों को न्याय मिलेगा। यह मामला राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचार से जुड़े गवर्नेंस और शहरी विकास मॉनिटरिंग पर भी सवाल उठा रहा है।
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