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अयोध्या राम मंदिर पर फहराई धर्मध्वजा: PM मोदी भावुक, बोले— मानसिक गुलामी से मुक्ति का संकल्प अब तेज
Jagran Desk
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिन बाद सोमवार को राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्मध्वजा फहरा दी गई।
अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:50 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बटन दबाकर 161 फीट ऊंचे शिखर पर 2 किलो की केसरिया ध्वजा स्थापित करवाई। ध्वजा जैसे ही ऊपर पहुंची, परिसर में मौजूद हजारों संतों और श्रद्धालुओं ने “जय श्रीराम” के गगनभेदी नारे लगाए।
इस क्षण को मंदिर निर्माण के पूर्ण होने का प्रतीक माना गया।
ध्वजारोहण के समय पीएम मोदी भावुक दिखे। उन्होंने हाथ जोड़कर धर्मध्वजा को प्रणाम किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा— “आज सदियों पुराने घाव भर गए हैं। हम भारत को हर प्रकार की मानसिक गुलामी से मुक्त कर ही रहेंगे। जिस मानसिकता ने भगवान राम को भी काल्पनिक कहा, उसी सोच को बदलने का यह अवसर है।”
PM मोदी ने पहली बार रामदरबार में पूजा-अर्चना की
ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत राम मंदिर के प्रथम तल स्थित रामदरबार गए। यहां उन्होंने पहली बार आरती उतारी और रामलला के दर्शन किए।
मोदी अपने साथ दिल्ली से रामलला के लिए विशेष वस्त्र और चंवर भी लेकर पहुंचे थे, जिन्हें उन्होंने पुजारियों को भेंट किया। इसके अलावा उन्होंने लक्ष्मण, सप्तऋषि, शबरी, निषादराज और अन्य पौराणिक प्रतीकों के भी दर्शन किए।
सुबह रामलला को सोने और रेशमी धागों से बने पीतांबर वस्त्र पहनाए गए। मंदिर परिसर को 1000 क्विंटल फूलों से सजाकर भव्य रूप दिया गया था। सुरक्षा की 5-लेयर व्यवस्था में ATS, NSG, SPG, CRPF और PAC के जवान तैनात रहे।
रोड शो में बच्चों ने बरसाए फूल
ध्वजारोहण से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि परिसर तक करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा रोड शो किया। रास्ते में स्कूली बच्चों ने काफिले पर फूल बरसाए, जबकि महिलाएं आरती की थाल लेकर स्वागत के लिए खड़ी थीं।
धर्मध्वजा के विशेष गुण
राम मंदिर पर स्थापित की गई ध्वजा को विशेष रूप से इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि
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भयंकर तूफान में भी क्षतिग्रस्त न हो
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हवा बदलने पर बिना उलझे तुरंत दिशा बदल ले
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ध्वजदंड पर 21 किलो सोना मढ़ा गया
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यह ध्वजा 4 किलोमीटर दूर तक दिखाई देगी
PM मोदी का संबोधन— ‘राम मूल्य हैं, मर्यादा हैं, आदर्श हैं’
अपने 32 मिनट लंबे संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा—
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“हर कालखंड में राम के विचार हमारी प्रेरणा हैं।”
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“विकसित भारत का रथ शौर्य, धैर्य, विवेक और परोपकार के घोड़ों से चलेगा।”
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“2035 में मैकाले की मानसिक गुलामी को 200 वर्ष पूरे होंगे, हम अगले 10 वर्षों में इस सोच से पूरी तरह मुक्ति पाएंगे।”
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“राम तर्क नहीं, भाव से जुड़ते हैं। राम एक मूल्य हैं, एक मर्यादा हैं। समाज अगर मजबूत होना है तो हर व्यक्ति के मन में राम होना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह ध्वजा सत्यमेव जयते, कर्तव्य प्रधानता और समाज में शांति का संदेश देती रहेगी। मोदी ने मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले सभी कारीगरों, दानदाताओं और भक्तों का आभार व्यक्त किया।
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