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पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल का 90 वर्ष में निधन; इंदिरा–राजीव के विश्वस्त और 26/11 के बाद इस्तीफा देने वाले दिग्गज नेता
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लातूर स्थित घर पर ली अंतिम सांस; 7 बार के सांसद और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने पांच दशकों तक सक्रिय राजनीति में निभाई अहम भूमिका।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पाटिल का निधन उनके लातूर स्थित आवास ‘देवघर’ में सुबह 6.30 बजे हुआ। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और घर पर ही इलाज चल रहा था। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा। परिवार में उनके बेटे शैलेश, बहू अर्चना और दो पोतियां हैं।
राजनीतिक सफर
शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को हुआ था। उन्होंने 1960 के दशक में लातूर म्युनिसिपैलिटी से राजनीति की शुरुआत की। 1970 के दशक में महाराष्ट्र विधानसभा में डिप्टी स्पीकर और बाद में स्पीकर बने। वे लातूर लोकसभा सीट से सात बार सांसद चुने गए। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के विश्वस्त नेताओं में गिने जाते थे।
1980 के दशक में रक्षा मंत्री रहे पाटिल, 1991–1996 में लोकसभा के 10वें अध्यक्ष बने। 2004–2008 तक उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री का पद संभाला।
26/11 मुंबई हमलों का इस्तीफा
26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान सुरक्षा चूक को लेकर उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी। इसके बाद पाटिल ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। यह कदम भारतीय राजनीति में दुर्लभ मिसाल माना जाता है।
अन्य प्रमुख पद
पाटिल राज्यसभा सदस्य, पंजाब के राज्यपाल और 2010–2015 तक चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर भी रहे। उनका राजनीतिक जीवन पाँच दशकों से अधिक चला, जिसमें उन्होंने कई संवैधानिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभाला।
PM मोदी और नेताओं की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें “अनुभवी, शांत और समाज की भलाई के लिए समर्पित नेता” बताते हुए संवेदना व्यक्त की। उन्होंने पाटिल के साथ अपनी हालिया मुलाकात का भी जिक्र किया।
विवाद और चर्चाएं
पाटिल ने 2022 में गीता, कुरान और ईसाई धर्मग्रंथों में ‘जिहाद’ की समान व्याख्या का जिक्र किया था, जिससे राजनीतिक चर्चा हुई। उनकी आत्मकथा Odyssey of My Life में 26/11 हमलों का उल्लेख न करना भी आलोचना का विषय बना।
शिवराज पाटिल का निधन भारतीय राजनीति के एक ऐसे युग का अंत है, जिसने शांति, संयम और संवैधानिक प्रक्रियाओं को प्राथमिकता देने वाले नेता को खो दिया।
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