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बालाघाट के जंगल में बाघिन का शव मिलने से हड़कंप: वन विभाग ने क्षेत्र सील किया, चार महीने में दूसरी मौत से बढ़ी चिंता
Balaghat, MP
आंजनबिहरी जंगल में घोडदेव बाबा मंदिर के पास मिला शव; पोस्टमॉर्टम आज, डॉग स्क्वाड जांच में जुटा—दक्षिण वन मंडल में लगातार दूसरी बाघिन की संदिग्ध मौत
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में गुरुवार शाम एक मादा बाघ का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। घटना कटंगी वन परिक्षेत्र के आंजनबिहरी गांव के जंगल की है, जहां घोडदेव बाबा मंदिर के पास कक्ष क्रमांक 562 में ग्रामीणों ने बाघिन को मृत अवस्था में देखा। यह मामला राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समाचारों में वन्यजीव संरक्षण को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, इलाके में तेज बदबू आने पर लोगों को कुछ गड़बड़ी की आशंका हुई। कुछ ग्रामीण जब मंदिर की ओर गए तो दूर से एक बाघिन नजर आई, जो लंबे समय तक बिना किसी हलचल के पड़ी रही। पास जाकर देखने पर पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है। ग्रामीणों ने तुरंत कटंगी वन विभाग को सूचना दी।
सूचना मिलते ही वन अमला, एसडीओ और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। किसी भी तरह के साक्ष्य से छेड़छाड़ न हो, इसके लिए पूरे क्षेत्र को तत्काल सील कर दिया गया। जांच के लिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और बालाघाट से डॉग स्क्वाड को बुलाया गया है, जबकि रातभर सुरक्षा के लिए वन कर्मियों की टीम तैनात की गई।
बाघिन की मौत का वास्तविक कारण अभी स्पष्ट नहीं है। देर शाम होने के कारण गुरुवार को शव का पोस्टमॉर्टम नहीं किया जा सका। वन विभाग ने बताया कि शुक्रवार को पोस्टमॉर्टम किया जाएगा और रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों की पुष्टि होगी। प्रारंभिक निरीक्षण में बाघिन के पंजे, नाखून और अन्य अंग सुरक्षित पाए गए हैं, जिससे शिकार या अवैध कारोबार की आशंका फिलहाल कमजोर दिखाई दे रही है।
एसडीओ बीआर सिरसाम ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि “आंजनबिहरी इलाके में बाघिन का शव मिला है। मौत का कारण पोस्टमॉर्टम के बाद साफ होगा। सभी संभावित पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है।” वन अधिकारियों ने इलाके में किसी तरह की अवैध गतिविधि की संभावना पर भी नजर बनाए रखी है।
इस घटना ने दक्षिण वन मंडल में बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साढ़े चार महीनों में यह दूसरी बाघिन की मौत है। इससे पहले 27 जुलाई को सोनेवानी कंजर्वेशन रिजर्व के बहियाटिकुर बीट में बह रहे बरसाती नाले से एक बाघिन का शव मिला था। उस मामले में गंभीर लापरवाही सामने आई थी—डिप्टी रेंजर और वनरक्षक ने शव को दो–तीन दिनों तक जंगल में रखा और फिर बिना किसी प्रोटोकॉल के जला दिया। मामले में दोनों अधिकारियों को बर्खास्त किया गया और एसटीएफ ने तीन महीने बाद उन्हें हिरासत में भी लिया था।
लगातार हो रही मौतों के कारण बालाघाट वन मंडल में निगरानी बढ़ाने की मांग तेज हो गई है। बाघ संरक्षण के लिए यह क्षेत्र संवेदनशील माना जाता है, और दो घटनाओं ने वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर किया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी।
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