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बानपुर में ‘सनातन संकल्प शत्र’: हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सांस्कृतिक एकता और परंपरा संरक्षण का संकल्प
Jagran Desk
राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिप्रिया भार्गव के नेतृत्व में पंचमहाभूतों की साक्षी में सद्भाव, संस्कार और सनातन मूल्यों को घर-घर तक पहुँचाने की प्रतिज्ञा।
बानपुर की पवित्र भूमि पर रविवार को आयोजित ‘सनातन संकल्प शत्र’ में हजारों लोगों ने भाग लेकर सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रसार का सामूहिक संकल्प लिया। यह आयोजन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती हरिप्रिया भार्गव के आह्वान पर किया गया, जिसमें पूरे क्षेत्र से धर्मनिष्ठ नागरिक, युवा संगठन और सांस्कृतिक समूह बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम को लेकर स्थानीय स्तर पर उत्साह देखा गया, जो भारत समाचार अपडेट और सांस्कृतिक जगत की प्रमुख घटनाओं में शामिल हो गया।

आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में सांस्कृतिक एकता को मजबूत करना और परंपराओं को नई पीढ़ी तक व्यवस्थित रूप से पहुंचाना था। पंचमहाभूत—अग्नि, जल, वायु, धरती और आकाश—की साक्षी में सामूहिक मंत्रोच्चार के साथ उपस्थित श्रद्धालुओं ने यह संकल्प लिया कि वे मोक्षलक्षी परंपराओं को एक सूत्र में बाँधकर हर घर में संस्कारों का दीप प्रज्वलित करने में सहयोग देंगे। कार्यक्रम का केंद्रीय मंत्र “धर्मो रक्षति रक्षितः” रहा।
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राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिप्रिया भार्गव ने अपने संबोधन में बच्चों को ग्रंथों और मातृभूमि से जोड़ने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि सनातन परंपराओं के संरक्षण से ही समाज का विकास संभव है। भार्गव ने यह भी कहा कि परिवार और समाज की जड़ों को मजबूत करना समय की आवश्यकता है, और यही सनातन धर्म का वास्तविक पथ है। उनकी यह अपील कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों पर स्पष्ट प्रभाव छोड़ती दिखी।
कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में “वसुधैव कुटुम्बकम” का उच्चारण किया और सभी जीवों की रक्षा का संकल्प लिया। आयोजन समितियों का कहना है कि यह केवल धार्मिक समागम नहीं बल्कि एक पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी है, जो समाज में शांति, समरसता और सांस्कृतिक जागरूकता का संदेश देती है।
दिव्य भंडारे की व्यवस्था भी कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा रही। हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण कर इस सांस्कृतिक महायज्ञ को पूर्णता प्रदान की। स्थानीय प्रशासन ने भी व्यवस्था में सहयोग किया, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप से संपन्न हुआ।
आयोजन से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि बानपुर का यह क्षण केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के शांति, श्रद्धा और शौर्य पर आधारित सिद्धांतों को समाज में स्थापित करने का प्रयास है। इनके अनुसार, इस प्रकार के कार्यक्रम समुदायों को जोड़ने और सांस्कृतिक गौरव बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आगे की योजना के तहत आयोजक विभिन्न गांवों और शहरों में इसी तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं, जिन्हें सरकारी अपडेट और स्थानीय सांस्कृतिक संस्थाओं का समर्थन मिलने की उम्मीद है।
बानपुर का यह आयोजन आने वाले समय में सांस्कृतिक संवाद और सनातन परंपराओं के प्रसार का एक नया आधार बन सकता है।
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