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भूपेश के अंधविश्वास वाले बयान पर धीरेंद्र शास्त्री का पलटवार: बोले— हिंदू एकता और राष्ट्रवाद अपराध नहीं
दुर्ग-भिलाई (छ.ग.)
भिलाई में हनुमंत कथा से पहले बोले पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, कहा— भक्ति और समाज को जोड़ना अंधविश्वास नहीं
छत्तीसगढ़ के दुर्ग-भिलाई में कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर हिंदू समाज को जोड़ना, भक्ति का प्रचार करना और राष्ट्रवाद की बात करना अंधविश्वास है, तो ऐसा सोचने वालों को देश छोड़ देना चाहिए। यह बयान उन्होंने गुरुवार को भिलाई के जयंती स्टेडियम में आयोजित होने वाली हनुमंत कथा से पहले मीडिया से बातचीत के दौरान दिया।
पं. धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान उस राजनीतिक विवाद की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कथावाचकों प्रदीप मिश्रा और धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था। बघेल ने कहा था कि ये कथावाचक धर्म की बजाय टोटके और अंधविश्वास की बातें करते हैं और समाज को भ्रमित कर रहे हैं।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पं. धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया कि वे कोई राजनीतिक नेता नहीं हैं और सामान्य तौर पर राजनीतिक बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं देते, लेकिन इस मुद्दे पर चुप रहना उचित नहीं था। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को संगठित करना, हनुमान भक्ति का प्रचार करना और राष्ट्र के प्रति जागरूकता फैलाना किसी भी तरह से अंधविश्वास नहीं है।
धीरेंद्र शास्त्री ने बांग्लादेश के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि वहां हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहा है और सिर्फ हिंदू होने के कारण लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते हिंदू समाज एकजुट नहीं हुआ, तो भविष्य में भारत में भी ऐसी स्थिति बन सकती है। उन्होंने इसे गंभीर और चिंताजनक विषय बताया।
धर्मांतरण के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे अशिक्षा, आर्थिक कमजोरी और अंधविश्वास प्रमुख कारण हैं। उन्होंने अपील की कि सक्षम हिंदू समाज को गरीब परिवारों और गांवों को गोद लेकर उनकी मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे दरबार और कथाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करते रहेंगे, ताकि आस्था मजबूत हो और भ्रम दूर हो।
संविधान को लेकर उठे सवालों पर पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे संविधान को पूरी श्रद्धा के साथ मानते हैं। उन्होंने कहा कि व्यवस्था संविधान से चलती है और आस्था राम दरबार से। दोनों के बीच कोई टकराव नहीं है। उनके अनुसार हिंदू राष्ट्र की कल्पना संविधान के विरोध में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में होनी चाहिए।
इस पूरे बयान से छत्तीसगढ़ की राजनीति और धार्मिक विमर्श में एक बार फिर गर्माहट आ गई है। जहां एक ओर कांग्रेस नेता कथावाचकों पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं धीरेंद्र शास्त्री जैसे धार्मिक वक्ता इसे हिंदू एकता और सांस्कृतिक जागरूकता का अभियान बता रहे हैं। आने वाले दिनों में यह बहस और तेज होने की संभावना है, खासकर तब जब राज्य में धार्मिक आयोजनों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
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