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राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख संत डॉ. रामविलास वेदांती का निधन: रीवा में ली अंतिम सांस
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एयर एम्बुलेंस को कोहरे के कारण लैंडिंग में समस्या; 67 वर्ष की आयु में संत का जाना, पार्थिव शरीर अयोध्या ले जाया जा रहा
राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी संत और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह निधन हो गया। वे 67 वर्ष के थे। उनका निधन मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ, जहां उनकी रामकथा कार्यक्रम चल रही थी।
डॉ. वेदांती की तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली से एयर एम्बुलेंस रीवा भेजी गई थी, लेकिन घने कोहरे के कारण वह लैंड नहीं कर सकी। थोड़ी देर बाद सुबह 12:20 बजे उनका निधन हो गया। उनके उत्तराधिकारी महंत राघवेश दास वेदांती ने यह जानकारी दी।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर वीडी त्रिपाठी ने बताया कि डॉ. वेदांती को सेप्टीसीमिया की गंभीर बीमारी थी। इसके कारण उनके रक्त में संक्रमण फैल गया, जो गुर्दे, फेफड़े और लिवर तक पहुँच गया। यही वजह थी कि उनकी हालत नाजुक हो गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
जीवन और कार्य
डॉ. वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को रीवा जिले के गुढ़ गांव में हुआ। दो वर्ष की आयु में उनकी मां का निधन हो गया। पिता राम सुमन त्रिपाठी एक प्रतिष्ठित पुरोहित थे। 12 वर्ष की आयु में वेदांती अयोध्या आए और रामकथा व संस्कृत शिक्षा में विशिष्ट विद्वान बने।
वे 12वीं लोकसभा में यूपी के प्रतापगढ़ से और 1996 में जौनपुर की मछलीशहर सीट से भाजपा के सांसद चुने गए। उन्हें राम जन्मभूमि न्यास का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था। वेदांती बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी थे, लेकिन 2020 में सीबीआई विशेष अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
आध्यात्मिक योगदान
डॉ. वेदांती अयोध्या के हिंदू धाम नया घाट पर रहते थे। उन्होंने दशकों तक रामकथा का प्रचार किया और राम मंदिर आंदोलन को जन-जन का मुद्दा बनाया। वे संतों और जनसामान्य को राम जन्मभूमि के महत्व के प्रति जागरूक करते रहे।
डॉ. वेदांती का पार्थिव शरीर अभी रीवा के आश्रम में रखा गया है। आज इसे अयोध्या ले जाया जा रहा है। अंतिम यात्रा का जुलूस हिंदू धाम से राम मंदिर तक निकलेगा और सरयू तट पर सुबह 8 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका निधन सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने डॉ. वेदांती को एक प्रेरणास्रोत बताया, जिन्होंने न्याय और आस्था के पक्ष में निर्भीकता से काम किया।
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