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महाकाल की भस्म आरती में दर्शन का सौभाग्य: राजा स्वरूप में सजे बाबा
Ujjain, MP

शुक्रवार, 30 मई को श्री महाकालेश्वर मंदिर में अलसुबह भस्म आरती के साथ बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया गया। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुबह 4 बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए, जिसके साथ ही भस्म आरती का अद्भुत अनुष्ठान शुरू हुआ।
प्रारंभ में भगवान महाकाल का जल से पवित्र अभिषेक किया गया। इसके बाद पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से स्नान कराकर विधिवत पूजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर बाबा को रजत से निर्मित शेषनाग मुकुट, रजत की मुण्डमाला, रुद्राक्ष की माला और सुगंधित पुष्पों से बनी आकर्षक फूलमालाएं अर्पित की गईं।
महाकाल को विशेष रूप से ड्रायफ्रूट से सजाया गया, जिससे उनका स्वरूप राजसी तेज से दीप्त हो उठा। भगवान को फल व मिष्ठान्नों का भोग अर्पित किया गया, जिससे भक्ति व भोग का संतुलन भी दर्शाया गया।
भस्म आरती के इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बनने देशभर से सैकड़ों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे। आरती के दौरान पूरा मंदिर परिसर "जय श्री महाकाल" के उद्घोष से गूंज उठा। श्रद्धालु नंदी महाराज के कान में अपनी मनोकामनाएं फूंकते दिखे, मान्यता है कि ऐसा करने से इच्छाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
जो भक्त मंदिर नहीं पहुंच सके, उनके लिए ऑनलाइन दर्शन की विशेष व्यवस्था की गई थी। हजारों भक्तों ने घर बैठे बाबा महाकाल की आरती और श्रृंगार के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
महाकालेश्वर मंदिर में इस प्रकार का दिव्य श्रृंगार और भस्म आरती हर दिन होती है, लेकिन विशेष तिथियों पर इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। श्रद्धालुओं के अनुसार, महाकाल की आराधना से जीवन में सुख, शांति और शक्ति की प्राप्ति होती है।