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बैतूल में 7 खातों से 9.84 करोड़ की साइबर ठगी का खुलासा, इंदौर में 3 आरोपी गिरफ्तार
Betul, MP
मृत व्यक्ति के खाते से भी लेन-देन, बैंक कर्मचारी ने डेटा गिरोह को लीक किया, पुलिस ने हाईटेक छापेमारी में मोबाइल और ATM कार्ड बरामद किए
बैतूल पुलिस ने राज्य की सबसे बड़ी साइबर ठगी में से एक का खुलासा किया है। एक ही बैंक की सात शाखाओं के खातों से कुल ₹9.84 करोड़ का हेरफेर किया गया, जिसमें मृत व्यक्ति राजेश बर्दे के खाते से भी लगातार लेन-देन हो रहा था। हाईटेक जांच और इंदौर में दबिश के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया और बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक सामग्री जब्त की।
मामला तब उजागर हुआ जब खेड़ी सावलीगढ़ निवासी मजदूर बिसराम इवने ने कलेक्टर और SP ऑफिस में शिकायत दी कि उसके जन-धन खाते में करीब दो करोड़ रुपए के संदिग्ध लेन-देन दिख रहे हैं। SP वीरेंद्र जैन के निर्देश पर साइबर सेल ने तकनीकी जांच शुरू की।
जांच में पता चला कि बिसराम इवने, नर्मदा इवने, मुकेश उइके, नीतेश उइके, अमोल, चंदन और राजेश बर्दे के खातों से रकम का हेरफेर किया गया। राजेश बर्दे की मौत के बावजूद उसके खाते में लेन-देन जारी था। मोबाइल नंबर बदला गया, नया ATM कार्ड जारी हुआ और इंटरनेट बैंकिंग भी सक्रिय थी।
पुलिस ने यह भी पाया कि गिरोह ऑनलाइन निवेश, इनाम या नौकरी का झांसा देकर लोगों के बैंक अकाउंट तक पहुंच बना रहा था। खातों से रकम निकालकर फर्जी या चोरी किए गए खातों में जमा किया जाता और तुरंत निकाल लिया जाता था, जिससे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता था। इस प्रक्रिया को गिरोह 'किट ट्रांसफर नेटवर्क' कहता था।
साइबर सेल की जांच में पता चला कि बैंक के अस्थायी कर्मचारी राजा उर्फ आयुष चौहान ने गोपनीय जानकारी गिरोह तक लीक की। इसमें खातों से जुड़े KYC दस्तावेज, मोबाइल लिंकिंग जानकारी और ग्राहक डेटा शामिल था। गिरोह इस डेटा के आधार पर सिम कार्ड, ATM कार्ड, पासबुक और चेकबुक से ‘किट’ तैयार करता और इंदौर भेज देता।
इंदौर के दो ठिकानों पर छापेमारी के दौरान पुलिस ने 15 मोबाइल, 25 सिम, 21 ATM कार्ड, 11 पासबुक, 2 लैपटॉप, 2 POS मशीनें, ₹28,000 नकद और कई डायरी-रजिस्टर बरामद किए। गिरफ्तार आरोपियों में राजा उर्फ आयुष चौहान (28), अंकित राजपूत (32) और नरेंद्र सिंह राजपूत (24) शामिल हैं।
SP वीरेंद्र जैन ने बताया कि यह जटिल साइबर ठगी तकनीकी दक्षता और सामूहिक प्रयास से उजागर हुई। फॉरेंसिक जांच जारी है और बाहरी नेटवर्क ट्रेस किए जा रहे हैं। जिले में साइबर मॉनिटरिंग को और सख्त किया जा रहा है, ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके।
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