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रायसेन में बाघ आकलन 2026 की तैयारियाँ तेज: वन कर्मियों को चार चरणों वाले राज्यव्यापी सर्वे का प्रशिक्षण
Raisen, MP
ईको सेंटर गढ़ी में हुआ दिवसीय प्रशिक्षण; कर्मचारियों को फील्ड चुनौतियों, सुरक्षा उपायों और सर्वे तकनीकों की दी गई जानकारी
रायसेन में गुरुवार को बाघ आकलन 2026 के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में वन विभाग के कर्मचारियों को राज्यव्यापी सर्वे के चार चरणों की तैयारियों से अवगत कराया गया। ईको सेंटर गढ़ी में हुए इस सत्र में रायसेन सबडिवीजन की चारों रेंज—पूर्व, पश्चिम, गढ़ी और बेगमगंज—के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य आगामी सर्वे के दौरान फील्ड कार्य को अधिक वैज्ञानिक, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाना था। यह प्रशिक्षण आज की ताज़ा ख़बरों और पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरीज़ में प्रमुख रूप से शामिल रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ वन मंडल अधिकारी प्रतिभा शुक्ला ने किया। उन्होंने कहा कि बाघ आकलन न केवल जैवविविधता संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे प्रदेश के लिए एक संवेदनशील और प्राथमिकता वाला कार्य है। शुक्ला ने कर्मचारियों को सर्वे के दौरान सावधानी, समयबद्धता और सटीक डेटा संग्रह पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन्यजीव गतिविधियों का सही आकलन तभी संभव है, जब टीम निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एकरूपता से कार्य करे।
कार्यशाला में उपवन मंडल अधिकारी सुधीर पटले और सिलवानी के इंदर सिंह बारे भी मौजूद रहे। मास्टर ट्रेनर्स आदर्श मिश्रा, रविकांत अमृते और अनुराग रघुवंशी ने कर्मचारियों को बाघ आकलन 2026 की संपूर्ण प्रक्रिया का विस्तृत विवरण दिया। पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से उन्हें साइन सर्वे, कैमरा ट्रैपिंग, ट्रांजेक्ट वॉक, डेटा रिकॉर्डिंग और जीआईएस मैपिंग जैसे महत्वपूर्ण चरणों की जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के दौरान टीमों को हैंड-ऑन एक्सरसाइज भी कराई गई ताकि फील्ड में आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों को पहले ही समझकर समाधान खोजा जा सके। इसमें पैगमार्क की पहचान, जंगली जानवरों के मूवमेंट पैटर्न, सुरक्षा उपकरणों का सही उपयोग और टीम कोऑर्डिनेशन जैसे विषय प्रमुख रहे।
प्रदेश में बाघ आकलन 2026 चार चरणों में किया जाएगा। रायसेन वन मंडल में यह सर्वे तीसरे चरण के अंतर्गत होगा, जिसे 5 से 12 जनवरी 2026 के बीच संपादित किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार इस चरण में कैमरा ट्रैपिंग और फील्ड डेटा का व्यापक संग्रह किया जाएगा, जिसके आधार पर जिले में बाघों की उपस्थिति और मूवमेंट का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाएगा।
वन विभाग का कहना है कि यह सर्वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले टाइगर स्टेटस आकलन का हिस्सा है, जिसका डेटा भारत की जैव-विविधता रिपोर्ट और वन्यजीव संरक्षण नीतियों में उपयोग किया जाता है। इस प्रशिक्षण से रायसेन की टीम सर्वे के लिए बेहतर रूप से तैयार मानी जा रही है।
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