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राहुल गांधी पर 272 रिटायर्ड जजों और अफसरों का लेटर: EC की साख को कमजोर करने का आरोप
Jagran Desk
पूर्व जज, सैन्य अधिकारी और सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेटों ने राहुल गांधी और कांग्रेस की आलोचना की, लोकतंत्र की सुरक्षा पर उठाए सवाल।
देशभर के 272 रिटायर्ड जजों, ब्यूरोक्रेट्स और सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को एक ओपन लेटर जारी कर राहुल गांधी और कांग्रेस पर चुनाव आयोग (EC) की साख को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। यह पत्र 4 नवंबर को राहुल गांधी द्वारा दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर लगाए गए वोट चोरी के आरोपों के बाद सामने आया है।
लेटर में शामिल 16 पूर्व न्यायाधीश, 123 सेवानिवृत्त ब्यूरोक्रेट (14 पूर्व राजदूत सहित) और 133 रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने लिखा है कि कांग्रेस लगातार संवैधानिक संस्थाओं, विशेषकर चुनाव आयोग, पर हमला करके लोकतंत्र में अविश्वास फैला रही है।
पत्र में कहा गया है कि चुनाव आयोग भारत की चुनावी प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है और उस पर बार-बार सवाल उठाने से जनता का भरोसा कमजोर होता है। “राजनीतिक मतभेद जरूरी हैं, लेकिन संवैधानिक संस्थाओं पर निरंतर आरोप लगाना देशहित के खिलाफ है,” लेटर में उल्लेख किया गया।
राहुल गांधी अब तक तीन बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने आयोग को मोदी सरकार की “B टीम” तक कह डाला था और भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप भी लगाया। इसके बावजूद, उन्होंने कोई आधिकारिक शिकायत या हलफनामा आयोग में पेश नहीं किया।
लेटर में पांच मुख्य बिंदु विशेष रूप से सामने आए हैं:
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पहले सेना, न्यायपालिका और संसद पर सवाल उठाए गए, अब चुनाव आयोग को निशाना बनाया जा रहा है।
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राहुल गांधी ने आयोग को “गद्दारी” तक कहा, पर कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश किया।
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विपक्षी जीत पर आयोग पर आरोप नहीं लगता, हार पर ही दोषारोपण शुरू होता है।
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पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन और एन गोपालस्वामी ने आयोग को मजबूत और निष्पक्ष बनाया।
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देश की सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए फर्जी वोटर, गैर-नागरिक और अवैध प्रवासियों को वोटर लिस्ट से हटाना जरूरी है।
पत्र में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन आदर्श कुमार गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हेमंत गुप्ता, पूर्व रॉ चीफ संजीव त्रिपाठी और NIA के पूर्व डायरेक्टर योगेश चंद्र मोदी सहित प्रमुख हस्तियों के सिग्नेचर शामिल हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, यह पत्र राजनीतिक संवाद में संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान बनाए रखने और लोकतंत्र की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक आरोपों और प्रेस कॉन्फ्रेंसों का असर सीधे जनता के भरोसे और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर पड़ता है।
आगे की स्थिति में यह देखना होगा कि कांग्रेस इस पत्र पर क्या प्रतिक्रिया देती है और चुनाव आयोग किस प्रकार इस विवाद पर अपनी स्थिति स्पष्ट करता है।
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