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117 साल पुराना कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज दिवाली पर मनाएगा आखिरी त्योहार, कभी BSE को देता था टक्कर
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भारत के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंजों में से एक कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) इस साल 20 अक्टूबर को अपनी आखिरी काली पूजा और दिवाली का जश्न मनाएगा। लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई और ऑपरेशन बंद होने के बाद, एक्सचेंज अब स्वैच्छिक रूप से बंद होने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है।
CSE में ट्रेडिंग अप्रैल 2013 में SEBI द्वारा नॉन-कॉम्प्लायंस के कारण रोक दी गई थी। इसके बाद एक्सचेंज ने कई प्रयास किए, लेकिन अंततः 25 अप्रैल 2025 को शेयरधारकों की मंजूरी मिलने के बाद व्यवसाय से बाहर निकलने का फैसला किया। SEBI ने वैल्यूएशन एजेंसी नियुक्त कर CSE की संपत्ति और मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
CSE की विरासत और पतन
1908 में स्थापित यह 117 साल पुराना संस्थान कभी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के ट्रेडिंग वॉल्यूम में मुकाबला करता था और कोलकाता के वित्तीय इतिहास का प्रतीक माना जाता था। पतन की शुरुआत तब हुई जब ₹120 करोड़ के केतन पारेख घोटाले ने भुगतान संकट पैदा किया। कई ब्रोकर्स अपने सेटलमेंट की जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पाए, जिससे निवेशकों और नियामक का विश्वास टूट गया और ट्रेडिंग गतिविधि लंबी अवधि तक प्रभावित हुई।
अंतिम दिवाली और कर्मचारी VRS योजना
CSE ने अपनी आखिरी दिवाली और काली पूजा के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। वरिष्ठ स्टॉक ब्रोकर्स ने बताया कि अप्रैल 2013 तक हर ट्रेडिंग से पहले मां लक्ष्मी की पूजा होती थी, और अब इस परंपरा को अलविदा कहा जाएगा।
इसके साथ ही, सभी कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) शुरू की गई, जिसमें ₹20.95 करोड़ का एकमुश्त भुगतान शामिल है। इससे सालाना लगभग ₹10 करोड़ की बचत होगी। कुछ कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर कॉम्प्लायंस कार्यों के लिए रखा गया है।
CSE के FY25 वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक्सचेंज ने भारत के कैपिटल मार्केट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें 1,749 लिस्टेड कंपनियां और 650 ट्रेडिंग मेंबर शामिल हैं। चेयरमैन और पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर दीपांकर बोस ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में डायरेक्टर की बैठक फीस ₹5.9 लाख दर्ज की।