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आंध्र प्रदेश के तंबाकू क्षेत्र में विदेशी निवेश आवश्यक: 12,000 करोड़ रुपये के सेक्टर को चाहिए आधुनिकरण
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आंध्र प्रदेश का तंबाकू उद्योग फिलहाल गंभीर संकट का सामना कर रहा है। यह क्षेत्र, जिसकी वार्षिक कीमत लगभग 12,000 करोड़ रुपये है, वैश्विक बाजार के दबाव और घरेलू चुनौतियों के कारण मुश्किल में है।
विशेषकर एचडी बर्ले तंबाकू की कीमतें 230 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर केवल 110-120 रुपये तक आ गई हैं। नेल्लोर, प्रकाशम और गुंटूर के किसान अपनी लागत भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) नहीं आएगा, तो तंबाकू उद्योग और किसानों की आय पर स्थायी संकट बन सकता है।
संकट और चुनौतियाँ
आंध्र प्रदेश के तंबाकू उद्योग की स्थिरता पर कोटा प्रबंधन और मामूली सब्सिडी आधारित प्रणाली निर्भर है, जो वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के लिए अपर्याप्त साबित हो रही है। निर्यातक एम. वेंकटेश्वर राव का कहना है कि “तंबाकू की खेती और मार्केटिंग में जल्द सुधार की आवश्यकता है। रक्षा जैसे संवेदनशील उद्योगों में FDI को मंजूरी मिली है, लेकिन तंबाकू, जो स्वास्थ्य पर असर डालता है और राज्य के लिए राजस्व उत्पन्न करता है, उसमें विदेशी निवेश अभी तक रोका गया है।”
वैश्विक दबाव और कीमतें
ब्राजील और अन्य देशों में उत्पादन घटने के बावजूद इस साल वैश्विक पैदावार बढ़ गई है। कोविड-19 के बाद मांग कम होने से भारत में तंबाकू की कीमतें भी गिर गई हैं। किसान और निर्यातक दोनों प्रभावित हुए हैं। पिछले साल बर्ले की मांग अधिक थी, जिससे कीमतें बढ़ीं, लेकिन इस साल गिरावट ने किसानों को निराश कर दिया है।
भविष्य के लिए उपाय
विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 5 सालों में 1,500–2,000 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है ताकि इस क्षेत्र को आधुनिक बनाया जा सके। इसमें शामिल हैं:
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इंफ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण
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ट्रेसबिलिटी सिस्टम का निर्माण
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प्रोसेसिंग और प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापना
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सस्टेनेबिलिटी सर्टिफिकेशन
बिना इन सुधारों के, यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख बाजारों में तंबाकू निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
विदेशी निवेश से संभावनाएँ
अन्य देशों के उदाहरण बताते हैं कि FDI से कैसे सुधार संभव हैं। ब्राजील ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों से अपने तंबाकू उद्योग को आधुनिक बनाया और किसानों की आमदनी 15-20% बढ़ी। फिलीपींस ने FDI से समर्थित संयुक्त उद्यमों के माध्यम से गिरते उद्योग को पुनर्जीवित किया। तकनीक, जलवायु-प्रतिरोधी बीज, मशीनीकरण और डिजिटल फार्म प्रबंधन उपकरणों के कारण किसान लाभान्वित हुए।
विदेशी निवेश केवल पूंजी नहीं लाता, बल्कि तकनीक, विशेषज्ञता और वैश्विक ग्राहक नेटवर्क भी उपलब्ध कराता है। यदि आंध्र प्रदेश इस दिशा में कदम उठाता है, तो किसानों की आय 20-25% तक स्थायी रूप से बढ़ सकती है और राज्य तंबाकू उद्योग में वैश्विक भूमिका मजबूत कर सकता है।
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