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जयपुर, लखनऊ, इंदौर जैसे छोटे शहरों में बढ़ी नौकरी की रफ़्तार, दिल्ली-मुंबई को छोड़ा पीछे
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देश के टियर II और III शहर अब नौकरी के मामले में मेट्रो शहरों को पीछे छोड़ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर, लखनऊ, इंदौर, कोयंबटूर, भुवनेश्वर, कोच्चि, सूरत, नागपुर और चंडीगढ़ जैसे शहरों में सितंबर के महीने में साल-दर-साल 21% की नियुक्ति वृद्धि दर्ज की गई। इसके मुकाबले दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे और कोलकाता जैसे महानगरों में यह वृद्धि केवल 14% रही।
छोटे शहरों में नौकरी की बढ़ती संभावनाएं
फाउंडिट की मासिक रिपोर्ट, फाउंडिट इनसाइट्स ट्रैकर (FIT) के अनुसार, टियर II और III शहरों में जॉब ग्रोथ की रफ़्तार तेज़ है। ई-कॉमर्स वेयरहाउसिंग, खुदरा विस्तार, ग्राहक सहायता केंद्र और त्योहारी पर्यटन जैसे क्षेत्रों ने इस वृद्धि को मजबूती दी है। रिपोर्ट में साल-दर-साल 21% और महीने-दर-महीने 4% वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि स्थिर भर्ती गतिविधियों और त्योहारी मांग दोनों का संकेत है।
रोजगार का नया स्वरूप
फाउंडिट की मार्केटिंग उपाध्यक्ष अनुपमा भीमराजका का कहना है कि यह बदलाव एक विकेंद्रीकृत, विविध और लचीले रोजगार परिदृश्य की ओर इशारा करता है। छोटे शहर नौकरी चाहने वालों के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं और नियोक्ताओं के लिए रणनीतिक लाभ सुनिश्चित कर रहे हैं।
मेट्रो शहरों की ग्रोथ
वहीं मेट्रो शहरों में साल-दर-साल नियुक्तियों में 14% की वृद्धि हुई है। इसका श्रेय आईटी, बीएफएसआई, मीडिया और मनोरंजन सेक्टर के मजबूत प्रदर्शन के साथ तकनीक, वित्त और मार्केटिंग पेशेवरों की उच्च मांग को दिया गया है।
किन सेक्टरों में बढ़ी मांग
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सेल्स और मार्केटिंग: 5% वृद्धि, त्योहारी सीज़न के कारण
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कस्टमर केयर और ऑपरेशन: 4% वृद्धि
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क्रिएटिव और मीडिया: 4% वृद्धि, कैंपेन और OTT एक्टिविटी के चलते
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टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट: 3% स्थिरता
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फाइनेंस और अकाउंटिंग: मामूली वृद्धि, लोन और क्रेडिट गतिविधियों के अनुसार
छोटे शहर अब रोजगार के नए हब बनते जा रहे हैं, और यह रुझान देश के नौकरी बाजार में संतुलित विकास की दिशा में एक अहम कदम है।