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विकट संकष्टी चतुर्थी 2025: 16 अप्रैल को रखें व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय समय और गणेश मंत्र
Dharm Desk

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित वह विशेष तिथि है, जिसे हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। वैशाख माह में आने वाली संकष्टी को “विकट संकष्टी चतुर्थी” कहा जाता है, जो इस बार बुधवार, 16 अप्रैल 2025 को पड़ रही है। यह व्रत संकटों को दूर करने वाला, सुख-संपन्नता बढ़ाने वाला और विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
🗓️ व्रत तिथि व मुहूर्त
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चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 16 अप्रैल 2025 को दोपहर 1:16 बजे
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चतुर्थी तिथि समाप्त: 17 अप्रैल 2025 को दोपहर 3:23 बजे
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चंद्रोदय का समय: 16 अप्रैल को रात 9:54 बजे
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व्रत पारण: चंद्रदर्शन और अर्घ्य देने के बाद (रात 9:54 बजे के पश्चात)
🔸 विशेष मान्यता: संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। ‘विकट’ नाम स्वयं दर्शाता है कि यह व्रत कठिन परिस्थितियों से उबारने वाला है।
🙏 व्रत विधि और पूजा के नियम
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व्रती को प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
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दिनभर निर्जला या फलाहारी उपवास रखें।
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शाम को भगवान गणेश की पूजा करें। धूप, दीप, लड्डू, दूर्वा, शमी पत्र और सिंदूर अर्पित करें।
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चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।
🔱 भगवान गणेश के विशेष मंत्र
इन मंत्रों का जाप व पूजन संकष्टी चतुर्थी के दिन विशेष फलदायी होता है:
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श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येषु सर्वदा॥ -
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥ -
ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥ -
ॐ गं गणपतये नमः॥
🪔 श्री गणेशजी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
(👉 पूरी आरती ऊपर संलग्न है, जिसे पूजा के अंत में गाकर गणेशजी की स्तुति करें)
🌙 संकष्टी चतुर्थी का महत्व
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यह व्रत विघ्नहर्ता गणेश से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने का वरदान देता है।
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मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से धन, समृद्धि, और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
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यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जो ऋण, रोग या पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
📿 तो इस 16 अप्रैल को करें विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पाएं भगवान गणेश का अपार आशीर्वाद।