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रायपुर सेंट्रल जेल में पूर्व जनपद अध्यक्ष की मौत विवादों में
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परिजनों ने मौत को बताया संदिग्ध, आदिवासी समाज ने कार्रवाई की मांग की; अंतिम संस्कार रोककर जांच कमेटी की मांग
जनपद पंचायत चारामा के पूर्व अध्यक्ष और सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष जीवन ठाकुर (49) की रायपुर सेंट्रल जेल परिसर में इलाज के दौरान हुई मौत ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। गुरुवार सुबह मेकाहारा अस्पताल में उनका निधन हो गया। परिवार और आदिवासी समाज ने इसे संदिग्ध मौत बताते हुए पुलिस और जेल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
जीवन ठाकुर को दो दिन पहले ही कांकेर जिला जेल से रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया था। 4 दिसंबर की तड़के उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। सुबह 7:45 बजे जांच के दौरान डॉक्टरों ने उनकी हालत नाजुक बताई और कुछ ही देर बाद उनकी मृत्यु हो गई।
घटना 4–5 दिसंबर 2025 की रात की है। तबीयत अचानक बिगड़ने पर उन्हें रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) भेजा गया, जहां सुबह 8 बजे के करीब उनकी मौत हुई।
कौन थे जीवन ठाकुर?
चारामा क्षेत्र के प्रमुख जनप्रतिनिधियों में गिने जाने वाले ठाकुर पर मयाना गांव के ग्रामीणों ने फर्जी वन पट्टा बनाने का आरोप लगाया था। जांच में आरोप सही पाए जाने पर तहसीलदार सत्येंद्र शुक्ला की शिकायत पर उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ। 12 अक्टूबर 2025 को उन्हें गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
तबीयत बिगड़ने का दावा और प्रशासन का पक्ष
कांकेर सहायक जेल अधीक्षक रेणु ध्रुव के अनुसार, जीवन ठाकुर की तबीयत 4 दिसंबर की सुबह अचानक खराब हुई। मेडिकल अधिकारी की सलाह पर उन्हें 4:20 बजे एंबुलेंस से मेकाहारा भेजा गया। अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक, भर्ती करने के तुरंत बाद ही उनकी स्थिति गंभीर बताई गई।
परिवार ने मौत को बताया संदिग्ध?
मृतक के परिजनों का आरोप है कि मौत की सूचना कई घंटे देर से दी गई। उनका कहना है कि प्रबंधन की देरी और अस्पष्ट जवाब पूरे मामले को संदिग्ध बनाता है। आदिवासी समाज के नेताओं ने भी अस्पताल पहुंचकर आरोप लगाया कि जीवन ठाकुर की हालत समय रहते परिवार को बताई जाती तो हालात अलग हो सकते थे।
अंतिम संस्कार का विरोध, जांच की मांग
परिजन और आदिवासी समाज के प्रतिनिधि शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर चुके हैं। उनका कहना है कि जब तक एक स्वतंत्र जांच समिति नहीं बनेगी और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
आदिवासी समाज का दबाव, आंदोलन की चेतावनी
आदिवासी नेताओं सुमेर सिंह नाग, कन्हैया उसेंडी, गौतम कुंजाम और तुषार ठाकुर ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि सात दिनों के भीतर जांच कमेटी नहीं बनी, तो वे जिला कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे। सर्व आदिवासी समाज ने इसे सामुदायिक सम्मान और न्याय का मामला बताते हुए इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचार स्तर पर उठाने की तैयारी की है।
जेल प्रशासन और पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रतीक्षा की बात कही है। जिला प्रशासन ने भी कहा है कि प्रारंभिक तथ्य जुटाए जा रहे हैं और मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय स्तर पर यह मुद्दा ट्रेंडिंग न्यूज इंडिया में पब्लिक इंटरेस्ट स्टोरी बन गया है।
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