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धीरेंद्र शास्त्री के बयान से गरमाई आस्था-अंधविश्वास की बहस, हवाई यात्रा विवाद पर दी सफाई; भूपेश बघेल ने चंदे पर उठाए सवाल
दुर्ग-भिलाई (छ.ग.)
भिलाई में हनुमंत कथा के समापन पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दरबार, आस्था और अंधविश्वास पर खुलकर रखे विचार, सरकारी विमान से यात्रा को लेकर जवाब; पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तीखा हमला
छत्तीसगढ़ के भिलाई में आयोजित हनुमंत कथा के समापन अवसर पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बयानों ने धार्मिक आस्था, अंधविश्वास और राजनीति के बीच नई बहस छेड़ दी है। जयंती स्टेडियम में कथा के आखिरी दिन उन्होंने कहा कि उनका दरबार लगाना कुछ लोगों को अंधविश्वास लगता है, जबकि चादर चढ़ाना और कैंडल जलाना विश्वास माना जाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि आस्था के मानक अलग-अलग क्यों तय किए जाते हैं।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने यह बयान तब दिया, जब हाल के दिनों में उनके कार्यक्रमों और गतिविधियों को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आस्था को राजनीति या दोहरे मापदंडों से नहीं देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार, किसी व्यक्ति या परंपरा को अंधविश्वास बताने से पहले समान दृष्टि अपनानी चाहिए।
हनुमंत कथा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने सरकारी विमान से छत्तीसगढ़ आने को लेकर उठे विवाद पर भी सफाई दी। उन्होंने मंच से कहा कि उन्हें लाने वाला कौन है, यह सवाल उठाने वालों को पहले उस व्यवस्था से पूछना चाहिए जिसने यात्रा की सुविधा दी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि देश को लूटने वाले आराम से घूम सकते हैं, लेकिन सनातन संस्कृति की बात करने वाला व्यक्ति हवाई जहाज में बैठे तो सवाल खड़े हो जाते हैं।
इस बयान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान धीरेंद्र शास्त्री और अन्य कथावाचकों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यदि धार्मिक प्रवचन पूरी तरह निस्वार्थ हैं, तो चंदा लेना बंद किया जाना चाहिए। भूपेश बघेल ने यह भी सवाल उठाया कि सरकारी संसाधनों का उपयोग धार्मिक आयोजनों के लिए किस आधार पर किया जा रहा है।
भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कई विद्वान साधु-संत हैं, जो बिना विवाद के धर्म और अध्यात्म का प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कथावाचक धार्मिक मंच का उपयोग लोकप्रियता और आर्थिक लाभ के लिए कर रहे हैं, जो अनुचित है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।
हनुमंत कथा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि लालच और दबाव के जरिए भोले-भाले लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, जो समाज के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने प्रशासन और समाज दोनों से इस पर सजग रहने की अपील की।
भिलाई में 25 से 29 दिसंबर तक चली हनुमंत कथा में छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। आयोजन के दौरान सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर भी प्रशासन सक्रिय रहा। अब धीरेंद्र शास्त्री के बयानों और भूपेश बघेल की प्रतिक्रियाओं के बाद यह मुद्दा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सार्वजनिक विमर्श और राजनीतिक बहस का विषय बन गया है।
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