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उत्तराखंड के राज्यपाल ने नामामी गौ मात्रम फाउंडेशन के 2026 कैलेंडर का किया विमोचन
डिजिटल डेस्क
देशी गाय-बैलों के संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और पारंपरिक आजीविका को बढ़ावा देने का संदेश
उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने मंगलवार को जयपुर स्थित नामामी गौ मात्रम फाउंडेशन द्वारा तैयार किए गए वर्ष 2026 के विशेष कैलेंडर का विमोचन किया। इस अवसर पर शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी मौजूद रहे। यह कैलेंडर देशी गायों और बैलों के संरक्षण, उनके प्रशिक्षण, उपयोगिता और ग्रामीण जीवन में उनकी भूमिका को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है।

कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि देशी गौवंश केवल सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, मानव स्वास्थ्य और टिकाऊ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण आधार है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास समाज को यह समझाने में सहायक होते हैं कि परंपरागत ज्ञान और आधुनिक जरूरतों के बीच संतुलन कैसे बनाया जा सकता है।
विमोचन समारोह के दौरान राज्यपाल को मिलेट यानी श्रीअन्न आधारित पारंपरिक पेयों और खाद्य पदार्थों की जानकारी भी दी गई। उन्होंने कहा कि मिलेट्स मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ कम पानी में उगने वाली फसलें हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, भू-जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाती हैं। उन्होंने मिलेट्स को भविष्य की खाद्य सुरक्षा से जोड़ते हुए इनके व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर बैलोदय गुरुकुल पहल की गतिविधियों की जानकारी भी साझा की गई। बताया गया कि यह पहल देशी बैलों के संरक्षण, प्रशिक्षण और कृषि व ग्रामीण कार्यों में उनकी उपयोगिता को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से कार्य कर रही है। कार्यक्रम में यह भी जानकारी दी गई कि उत्कर्षिणी बहुउद्देशीय सहकारी समिति, हरिद्वार ने गुरुकुल से प्रशिक्षित बैलों को खरीदा है और निकट भविष्य में हरिद्वार में बैल-चालित पारंपरिक घानी स्थापित की जाएगी। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ने और स्वावलंबी आजीविका को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
राज्यपाल को बैल बचाओ अभियान और महाकुंभ के दौरान किए गए प्रयासों के बारे में भी अवगत कराया गया। इस दौरान बैल-चालित घानी और चक्की के माध्यम से पारंपरिक, पर्यावरण-अनुकूल और आत्मनिर्भर जीवनशैली का प्रत्यक्ष प्रदर्शन किया गया, जिसे राज्यपाल ने सराहा।
कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कैलेंडर निर्माण से जुड़े सभी सदस्यों और फाउंडेशन की टीम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देशी गाय और बैलों पर आधारित यह कैलेंडर न केवल जागरूकता बढ़ाने वाला है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति, परंपरा और सतत विकास के महत्व से भी जोड़ता है। उनके अनुसार, ऐसे प्रयास गौवंश संरक्षण, बैल आधारित आजीविका और ग्रामीण विकास को नई दिशा देंगे।
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