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पंजाब में नए ग्रामीण रोजगार कानून पर सियासी टकराव, शिवराज बोले– संघीय व्यवस्था को चुनौती
भोपाल (म.प्र.)
राहुल गांधी, पंजाब सरकार और विपक्ष पर साधा निशाना
केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के स्थान पर लागू किए गए नए ग्रामीण रोजगार कानून G-RAM-G (ग्रामीण) को लेकर पंजाब में राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। पंजाब विधानसभा में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी पर केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने इसे संसद की सर्वोच्चता और देश की संघीय व्यवस्था पर सीधा हमला बताया।
मंगलवार को भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि संसद द्वारा पारित किसी कानून के विरुद्ध राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाना संवैधानिक परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार और विपक्ष बिना तथ्यों को समझे राजनीतिक विरोध कर रहे हैं।
क्या है मामला
केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 में मनरेगा की जगह विकसित भारत–रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) कानून लागू किया है। सरकार का दावा है कि यह कानून रोजगार के दिनों को बढ़ाने, पंचायतों को अधिक अधिकार देने और ग्रामीण विकास को परिणामोन्मुख बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। वहीं पंजाब सरकार का कहना है कि यह कानून गरीब मजदूरों और कमजोर वर्गों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा।
क्यों बढ़ा विवाद
पंजाब सरकार ने 30 दिसंबर को विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री का कहना है कि नया कानून “काला कानून” है और इससे ग्रामीण रोजगार की सुरक्षा कमजोर होगी। इसी को लेकर केंद्र और राज्य के बीच टकराव सामने आया है।
केंद्र का पक्ष
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मनरेगा अपने उद्देश्य से भटक चुकी थी और भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई थी। मशीनों से काम और योजनाओं के असंतुलित क्रियान्वयन के कारण गांवों का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि नए कानून पर एक साल तक विचार-विमर्श हुआ और इसका लक्ष्य ग्राम पंचायतों को योजना निर्माण में केंद्रीय भूमिका देना है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
राहुल गांधी द्वारा योजना की जानकारी न होने के आरोप पर शिवराज ने पलटवार करते हुए कहा कि किसी भी कानून को मंत्रिमंडल और संसद की प्रक्रिया के बिना लागू करना संभव नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर “राजनीतिक भ्रम फैलाने” का आरोप लगाया।
पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने की स्थिति में यह मामला और राजनीतिक तूल पकड़ सकता है। जानकारों के अनुसार, यह विवाद आने वाले दिनों में केंद्र–राज्य संबंधों और ग्रामीण रोजगार नीति पर व्यापक बहस को जन्म दे सकता है।
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