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सूदखोरी के शिकंजे में आईटी की छापेमारी: हिस्ट्रीशीटर तोमर बंधुओं के रायपुर स्थित घर पर आयकर और नगर निगम की संयुक्त कार्रवाई
Raipur, CG
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राजधानी रायपुर में रविवार को इनकम टैक्स विभाग और नगर निगम की संयुक्त टीम ने कुख्यात हिस्ट्रीशीटर वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर के ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की। यह कार्रवाई सूदखोरी, अघोषित संपत्ति और अवैध हथियारों की बरामदगी को लेकर की गई। बताया जा रहा है कि दोनों भाई बीते कई सालों से अवैध तरीके से कर्ज देकर मोटी वसूली कर रहे थे और इसके लिए लोगों को रिवॉल्वर और पिस्टल दिखाकर धमकाते भी थे।
आईटी अधिकारियों ने दोनों के निवास से संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों के साथ-साथ कई संदिग्ध रिकॉर्ड जब्त किए हैं। वहीं, नगर निगम की टीम ने निर्माण अनुमति, टैक्स भुगतान और संपत्ति से जुड़ी जानकारी एकत्र की।
संपत्ति और हथियारों का जखीरा मिला
जांच के दौरान घर से 37 लाख रुपए नकद, 734 ग्राम सोने के जेवर, 125 ग्राम चांदी, 4 लग्जरी गाड़ियाँ, iPad, लैपटॉप, चेकबुक, एटीएम कार्ड, DVR और ई-स्टाम्प के अलावा, नोट गिनने की मशीन, 5 तलवारें, एक रिवॉल्वर, एक पिस्टल, ज़िंदा कारतूस और आवाजी कारतूस भी बरामद हुए। पुलिस को आशंका है कि ये हथियार कर्जदारों को धमकाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे।
भतीजे से पूछताछ, जवाब- "सब चाचा को पता है"
पुलिस ने वीरेंद्र और रोहित के भतीजे दिव्यांश प्रताप तोमर को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन उसने हर सवाल का टालमटोल जवाब दिया और कहा कि सभी जानकारी उसके चाचा को ही है। फिलहाल दिव्यांश रिमांड पर है।
जेल से शुरू हुआ अपराध का सफर
वीरेंद्र तोमर का आपराधिक इतिहास लंबा है। 2006 में एक कारोबारी पर चाकू से हमला करने के बाद वह जेल गया था। वहां उसकी मुलाकात दूसरे राज्यों के अपराधियों से हुई और यही से उसने सूदखोरी का काम शुरू किया। जेल से बाहर आते ही उसने ब्याज पर रुपए देना शुरू किया और देखते ही देखते एक छोटे स्तर का अंडा विक्रेता करोड़ों की काली कमाई का मालिक बन गया।
मददगारों की तलाश में जुटी पुलिस
पुलिस अब इस बात की पड़ताल कर रही है कि वीरेंद्र और रोहित को रायपुर में यह अवैध साम्राज्य खड़ा करने में किन लोगों का साथ मिला। जेल के अंदर और बाहर सक्रिय नेटवर्क की जांच शुरू हो चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही कई नाम सामने आ सकते हैं।