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कोंडागांव नृत्य दल को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित: शहीद वीर नारायण सिंह लोक कला महोत्सव में मिला प्रथम स्थान
Kondagaon, CG
लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने अंबिकापुर में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बाजी मारी; समृद्ध जनजातीय कला-संस्कृति का शानदार प्रदर्शन
राज्य स्तरीय शहीद वीर नारायण सिंह स्मृति लोक कला महोत्सव में कोंडागांव जिले के लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान हासिल किया। सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर में आयोजित इस कार्यक्रम में दल को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों सम्मानित किया गया। यह उपलब्धि कोंडागांव जिले की जनजातीय कला, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखी जा रही है।
कार्यक्रम के मुख्य मंच पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजयी दल को सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किया। नृत्य दल की पारंपरिक वेशभूषा, ताल-लय और लोक संस्कृति को जीवंत रूप से प्रस्तुत करने की क्षमता ने निर्णायक मंडल को प्रभावित किया। प्रतियोगिता के दौरान इस दल ने बस्तर की प्राचीन लोक परंपराओं को जिस ऊर्जा और सौंदर्य के साथ प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों की भी सराहना हासिल की।
कोंडागांव कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने टीम को बधाई देते हुए कहा कि जिले का नाम राज्य स्तर पर गौरवान्वित करने के लिए यह दल बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि लिंगों घोटुल मांदरी नृत्य दल ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और समर्पण के दम पर यह उपलब्धि अर्जित की है। कलेक्टर ने इसे जिले की समृद्ध जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और प्रसार का एक उल्लेखनीय उदाहरण बताया।
दल की सदस्य आरती नेताम, जो हरवेल गांव की रहने वाली हैं, ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह सफलता उनके लिए लंबे संघर्ष और कड़ी मेहनत का परिणाम है। उन्होंने बताया कि उनकी यात्रा पंचायत स्तर से शुरू होकर राज्य स्तर तक पहुंची और राष्ट्रपति के हाथों सम्मान पाना उनके लिए गर्व का अविस्मरणीय क्षण है। आरती ने जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा मिले सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
राज्य स्तरीय शहीद वीर नारायण सिंह स्मृति लोक कला महोत्सव छत्तीसगढ़ की लोक कला परंपराओं को प्रोत्साहित करने वाला प्रमुख मंच है। यहां विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों ने अपनी सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक नृत्यों का प्रदर्शन किया। इनमें कोंडागांव की टीम का प्रदर्शन सबसे प्रभावशाली रहा।
यह सम्मान न केवल नृत्य दल की उपलब्धि है, बल्कि प्रदेश की जनजातीय सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। कोंडागांव प्रशासन और स्थानीय समुदाय इसे जिले की सांस्कृतिक प्रगति के प्रतीक के रूप में देख रहा है।
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